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फर्जी आईएएस मामला : जांच के लिए एसआईटी का गठन

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देहरादून | मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में कथित तौर पर फर्जी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी के तौर पर रहने वाली महिला के मामले की जांच के लिए गुरुवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। महिला ने हालांकि सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि वह एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी नहीं थी, इस बात का पता उप निदेशक को था।

उत्तराखंड सरकार ने एक महिला अधिकारी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया है, जो यह जांच करेगा कि रूबी चौधरी नामक महिला आखिर कैसे महीनों तक अकादमी में रहने में सफल रही। चौधरी ने कहा कि उप निदेशक सौरभ जैन जानते थे कि वह एक प्रशिक्षु आईएएस नहीं है। उसने मीडिया को यह भी बताया है कि जैन ने ही अकादमी में रहने में उसकी मदद की। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बी.एस.सिद्धू ने कहा कि मामले की पूरी गंभीरता से जांच की जा रही है। चौधरी ने अकादमी के उपनिदेशक सौरभ जैन (38) पर आरोप लगाया है कि लाइब्रेरियन की नौकरी देने के लिए उन्होंने उससे 20 लाख रुपये लिए। जैन केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उसने कहा कि जब यहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आए थे, तो समूह फोटोग्राफ में वह भी शामिल थी, जो सुरक्षा में गंभीर चूक को दर्शाता है।

चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि जैन ने उसे चुप रहने के एवज में पांच करोड़ रुपये देने का लालच दिया। यह मामला तब प्रकाश में आया, जब अप्रैल के अंत में राष्ट्रपति के अकादमी के प्रस्तावित दौरे के मद्देनजर सुरक्षा की दृष्टि से परिसर में रहने वाले प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों की सूची की छानबीन की जा रही थी। इस दौरान यह बात सामने आई कि रूबी चौधरी बीते छह महीनों से यहां एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में रह रही थी। जैन वर्तमान में उत्तराखंड में प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्होंने उत्तराखंड में कई पदों पर काम किया है और सितंबर 2013 में वह अकादमी के उप निदेशक बने थे।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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