अन्तर्राष्ट्रीय
पीपीपी ने व्यवसायी, भारतीय प्रकाशक के खिलाफ किया मुकदमा
इस्लामाबाद| पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने एक व्यवसायी और एक भारतीय प्रकाशक के खिलाफ दो अरब रुपये की मानहानि का मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा पूर्व राष्ट्रपति और पीपीपी के उपाध्यक्ष आसिफ अली जरदारी पर लगाए गए आरोपों को लेकर दायर किया गया है। समाचार-पत्र ‘डॉन’ की वेबसाइट की बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार, कराची में रहने वाले व्यवसायी सदरुद्दीन हशवानी ने अपनी जीवनी में पूर्व राष्ट्रपति पर 2008 में मैरियट होटल पर हुए बम हमले में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाया है, जिसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
जरदारी के वकील और पार्टी के नेता सीनेटर फारूक नाईक ने एक संयुक्त प्रेस सम्मेलन में कहा, “हशवानी द्वारा हमारे नोटिस का 15 दिनों में जवाब नहीं देने के बाद हमने सिंध उच्च न्यायालय में उनकेखिलाफ मानहानि का मुकदमा किया है।”
हशवानी ने अपनी आत्मकथा ‘ट्रुथ ऑलवेज प्रिवेल्स’ में जरदारी पर उनकी कुछ संपत्तियों को हड़पने का भी आरोप लगाया है।
यह पुस्तक भारतीय प्रकाशक पेंगुइन बुक्स ने हाल ही में प्रकाशित की है।
16 दिसंबर को जरदारी ने हशवानी, पेंगुइन बुक्स और कराची स्थित लिबर्टी बुक्स को दो अरब डॉलर हर्जाना देने से संबंधित कानूनी नोटिस जारी किया था।
नाईक ने कहा कि स्थानीय पुस्तक विक्रेता ने माफी मांगी थी और पीपीपी को सूचना दी थी कि यह अब और पुस्तक नहीं बेच रहा, लेकिन हशवानी और प्रकाशक ने कानूनी नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया था।
उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई सिंध उच्च न्यायालय में छह फरवरी को होगी।
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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