अन्तर्राष्ट्रीय
पीएम मोदी ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मिले
ऊफा (रूस) | भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेहरान परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतर्राष्ट्रीय करार पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीदों के बीच ऊफा में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की। इस करार के बाद भारत ईरान से तेल का आयात बढ़ा सकता है। ऊफा में ब्रिक्स एवं एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर गुरुवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ मोदी की यह पहली द्विपक्षीय वार्ता थी। इससे पूर्व मोदी बुधवार शाम यहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिले थे।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एक ट्वीट में लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स/एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की। इससे दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण साझेदारी मजबूत होगी।” ईरान परमाणु कार्यक्रम के मद्देनजर अमेरिका के दबाव में आकर भारत ने यहां से तेल का आयात बेहद सीमित कर दिया था। हालांकि ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के पांच स्थाई सदस्यों (अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस) एवं जर्मनी के बीच परमाणु करार के वादे के मद्देनजर मई महीने से भारत ने ईरान से तेल का आयात पुन: शुरू किया। भारत, विश्व का चौथा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता राष्ट्र है और ईरान के शीर्ष तेल आयातक राष्ट्रों में शामिल है। मैंगलोर की एस्सार तेल कंपनी, पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन जैसी भारतीय कंपनियां ईरान से तेल खरीदती हैं।
मोदी और रूहानी की द्विपक्षीय बैठक ऐसे समय में हुई है, जब भारत रणनीतिक ईरान के चाबहर बंदरगाह के विकास में रुचि ले रहा है। भारत, अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया से होकर गुजरने वाले इस मार्ग को अपने वैकल्पिक व्यापारिक मार्ग के रूप में देख रहा है। मोदी ने इससे पूर्व उजबेकिस्तान एवं कजाकिस्तान में चाबहर बंदरगाह को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरीडोर से जोड़ने का प्रस्ताव रखा, जो मुंबई (भारत) को सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) से जोड़ेगा। रूहानी से मुलाकात से पहले मोदी ने भारतीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से बातचीत की।
स्वरूप ने ट्वीट किया, “ब्रिक्स व्यापार के लिए। भारतीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से बातचीत की।” प्रधानमंत्री मोदी इस समय ऊफा (रूस) में हैं। वह सातवें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन और 15वें शंघाई सहयोग संगठन (एसीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए उफा में हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे
नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।
रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।
आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।
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