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पार्टी के लिए नुकसानदेह हैं बेजा बयान

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हैदराबाद| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को स्वीकार किया कि धर्मातरण के मुद्दे पर पार्टी के कुछ नेताओं के बयान ने भाजपा की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। शाह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “जब हमारे विधायक और सांसद ऐसे बयान देते हैं, तो यह भाजपा को नुकसान पहुंचाता है।”

शाह ने कहा कि उन्होंने अपने सहयोगियों को कई बार बयान देते वक्त संयम बरतने को कहा है।

उन्होंने उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज के ‘हिंदू महिलाओं को चार बच्चे पैदा करने चाहिए’ वाले बयान पर कहा कि पार्टी इससे सहमत नहीं है।

अध्यक्ष ने कहा, “यह एक व्यक्ति का निजी बयान है। भाजपा इससे सहमत नहीं है।”

उन्होंने हालांकि, कहा कि ऐसे बयान का सरकार के विकास के एजेंडे पर कोई असर नहीं होगा।

शाह ने कहा, “साक्षी के बयान मीडिया के लिए हैं।”‘

मजलिस-ए-इत्तेहादे मुस्लिमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असादुद्दीन ओवैसी के ‘घर वापसी’ से जुड़े बयान पर प्रतिक्रिया देने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि जबरन धर्मातरण सिर्फ मजबूत और व्यापक कानून से रोका जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक भी ‘तथाकथित’ धर्मनिरपेक्ष पार्टी ने संसद में धर्मातरण विरोधी कानून पर सरकार का साथ नहीं दिया।

शाह ने कहा, “क्या जबरन धर्मांतरण को मीडिया में बहस के जरिए रोका जाएगा? देश को मीडिया चलाएगी या कानून? अगर कानून को इसे चलाना है, तब एक मजबूत और व्यापक कानून की जरूरत है।”

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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