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प्रादेशिक

पानी की किल्लत से जूझ रहा शिमला

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water crisis

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शिमला। कभी पहाड़ों की रानी के नाम से चर्चित रहा शिमला अब पानी की कमी, अव्यवस्थित यातायात और बेतरतीब निर्माण से त्रस्त है। शहर में वाहन चलाना किसी दु:स्वप्न तथा आपके धैर्य की परीक्षा लेने जैसा है। हालांकि, सुखद मौसम इसका मुख्य आकर्षण बना हुआ है।

चंडीगढ़ स्थित अंग्रेजी दैनिक के पत्रकार तथा शिमला में पले-बढ़े उमेश घरेरा ने इस पहाड़ी इलाके की समस्याओं के बारे में बात की। अपने परिवार के साथ यहां छुट्टियां बिताने आए घरेरा कहते हैं कि शिमला में सबसे बड़ा मुद्दा पार्किंग का सीमित स्थान है। घरेरा ने बताया, “आप भले सैंकड़ों रुपये खर्च करने को तैयार हों, लेकिन आपको पार्किंग के लिए जगह नहीं मिलेगी। अब समय आ गया है कि सरकार हालात में सुधार के लिए बड़े कदम उठाए। नहीं तो फिर शिमला रहने लायक नहीं रह जाएगा।”

एक अन्य पर्यटक दिल्ली के अभिमन्यु शिकायत करते हैं, “होटल में पानी नहीं है। हमने देश में पहला पर्यटन स्थल देखा है, जहां होटल में पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है।” उन्होंने कहा कि उन्हें होटल में एक अतिरिक्त बाल्टी पानी के लिए 100 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिमला में गर्मी तथा सर्दी दोनों मौसम में पानी की कमी रहती है।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रपट ने शिमला नगर निगम की कमियों को दिखाया है, जिसमें कहा गया है कि शहर को 24 घंटों में सिर्फ 1.2 घंटे ही पानी उपलब्ध होता है। इसके मुताबिक, पानी की आपूर्ति प्रति व्यक्ति आवश्यकता के 135 लीटर से काफी कम होती है। 2009-14 के बीच नगरनिगम ने प्रति दिन प्रति व्यक्ति 110 लीटर पानी की आपूर्ति की थी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शहर में पानी की मांग प्रतिदिन चार करोड़ लीटर है, लेकिन सिर्फ 3.5 से 3.7 करोड़ लीटर पानी ही उपलब्ध हो पाता है।

मीडिया की रपटों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने राज्य सरकार को इस पर स्थिति रपट पेश करने तथा पानी की आपूर्ति का वास्तविक आंकड़ा पेश करने को कहा था। रपट में सरकार की तरफ से जल संसाधन को चिन्ह्ति करने के लिए उठाए गए कदम की भी सूचना मांगी गई है। न्यायालय में जहां मामले की सुनवाई 29 जून को होनी है, वहीं रपट में कहा गया है कि सरकार और नगरनिगम जल की कमी की समस्या को दूर करने में विफल रहे हैं, जो कि साल भर एक आम समस्या रही है।

सिंचाई तथा लोक स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स कहती हैं कि शिमला के लोगों को जल की आपूर्ति हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता रही है। स्टोक्स ने बताया कि शिमला को कोल डैम से जल आपूर्ति करने, पानी वितरण व्यवस्था को ठीक करने और नालियों को दुरुस्त करने संबंधी विस्तृत रपट को केंद्र सरकार ने तकनीकी मंजूरी दे दी है। इन परियोजनाओं में 643 करोड़ रुपये खर्च होने हैं।

उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद

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हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।

50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध

उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।

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