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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान : आतंकवादियों के निशाने पर रहे बच्चे 

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इस्लामाबाद/नई दिल्ली| पाकिस्तान के लिए साल 2014 आतंकवादी हमले, प्राकृतिक आपदा और राजनीतिक उथल-पुथल के नाम रहा। साल की शुरुआत में एक आत्मघाती हमलावर को रोकने के लिए एक स्कूली बच्चे ने अपनी जान की बाजी लगा दी, तो दूसरी तरफ साल के अंत में पेशावर में आतंकवादियों ने स्कूली बच्चों के साथ खून की होली को अंजाम दिया। हालांकि कुछ सकारात्मक क्षण भी पाकिस्तान के लिए रहे हैं, जिनमें से एक छात्रा मलाला यूसुफजई को शांति का नोबल पुरस्कार मिलना है।

साल के पहले ही दिन से पाकिस्तान में आतंकवादियों ने तांडव की शुरुआत कर दी थी। हर किसी को निशाने पर लिया गया। क्वेटा में तीर्थयात्रियों, खैबर एजेंसी में सरकार समर्थक कबायलियों, बन्नू में सैनिकों, रावलपिंडी स्थित जनरल मुख्यालय, खैबर पख्तूनख्वा में पोलियो टीकाकरण दल, इस्लामाबाद में एक अदालत, कराची स्थित जिन्ना अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, वाघा सीमा पर झंडा उतारने का समारोह और अंत में पेशावर का सैनिक स्कूल आतंकवादियों का निशाना बना। 10 जनवरी को हुए एक विस्फोट के दौरान आतंकवाद रोधी अभियान प्रमुख चौधरी असलम खान मारे गए।

इसी बीच, ऐतजाज हसन नामक 14 वर्षीय एक बहादुर बच्चे ने आतंकवादियों के हौसले को पस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। खैबर पख्तूनख्वा स्थित एक स्कूल में नौ जनवरी को एक वह आत्मघाती हमलावर से अकेले ही भिड़ गया और स्कूल के सैकड़ों बच्चों को बचाने की खातिर अपनी जान की कुर्बानी दे दी।

कराची में अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हमले के बाद उत्तरी वजीरिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) तथा अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ सैन्य अभियान ‘जर्ब-ए-अज्ब’ शुरू किया गया।

टीटीपी ने वाघा सीमा पर विस्फोट को अंजाम दिया, जिसमें कम से कम 60 व्यक्ति मारे गए। वहीं 16 दिसंबर को पेशावर स्थित एक सैनिक स्कूल पर हमला कर आतंकवादियों ने 8-18 उम्रवय के 132 बच्चों को मार डाला। इस घटना में नौ शिक्षक तथा कर्मचारी भी मारे गए। इस घटना को ‘पाकिस्तान का 9/11’ नाम दिया गया, जो देश का अब तक का सबसे बर्बर आतंकवादी हमला था। इस घटना ने 2007 में कराची में हुए बेनजरी भुट्टो पर हमले की याद ताजा कर दी, जिसमें 139 लोग मारे गए थे।

नई दिल्ली में एक पाकिस्तानी राजनयिक ने आईएएनएस से कहा, “पेशावर हमला सबसे बर्बर रहा। यह दिखाता है कि आतंकवादी कितने सक्षम हैं और लोगों को क्या झेलना पड़ सकता है।”

पाकिस्तान के लिए साल 2014 राजनीतिक उथल-पुथल भरा भी रहा। ऑपरेशन जून 17 के दौरान लाहौर हाउस के बाहर धर्मगुरु सह राजनेता ताहिर-उल-कादरी के समर्थकों तथा पुलिस के बीच हुए खूनी संघर्ष में 14 लोगों की मौत हो गई। इस घटना को सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज से जोड़ा गया और कहा गया कि उसके समर्थकों ने उनकी हत्या की। गुल्लू बट्ट को गिरफ्तार कर उसे 11 वर्ष जेल की सजा सुनाई गई।

उधर, क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान साल 2013 में आम चुनावों के दौरान कथित तौर पर गड़बड़ी को लेकर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे पर अड़े रहे। 14 अगस्त को उन्होंने लाहौर से इस्लामाबाद तक ‘आजादी मार्च’ किया।

कूटनीनिक तौर पर भी यह साल पाकिस्तान के लिए मिला-जुला रहा। पश्चिमी पड़ोसी ने संबंध सुधारने का वादा किया, तो नियंत्रण रेखा पर बार-बार संघर्ष विराम को लेकर इसके संबंध पूरब के पड़ोसी से तनावपूर्ण ही रहे।

मोदी के आमंत्रण के बाद नवाज के भारत दौरे से दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरने की उम्मीदें जगी, लेकिन विदेश सचिव स्तरीय वार्ता से पहले अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की बातचीत ने सब पर पानी फेर दिया। भारत ने वार्ता रद्द कर दी।

प्रकृति भी इस साल पाकिस्तान से नाराज दिखी। सितंबर में आई बाढ़ के कारण उत्तरी पाकिस्तान तथा पाकिस्तान शासित कश्मीर में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

लेकिन हर विपदा ने पाकिस्तान ने धैर्य का परिचय दिया। ‘खबर नाक’ तथा ‘हस्ब-ए-हाल’ जैसे टेलीविजन कार्यक्रमों ने जता दिया कि परिस्थितियां चाहे कितनी ही प्रतिकूल क्यों न हों, पाकिस्तान के लोग हमेशा मुस्कुराते रहेंगे।

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भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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