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नेपाल : भूकंप पीड़ित अब भी तंबू, भोजन के मोहताज

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काठमांडू। प्राकृतिक आपदा के बाद प्रशासन की बेरुखी पीड़ितों के जख्मों पर नमक का काम करती है। हिमालयी देश नेपाल में भूकंप पीड़ितों का कुछ ऐसा ही हाल है। विनाशकारी भूकंप के दो सप्ताह बाद भी यहां हजारों लोगों को अब तक भोजन, तंबू और तिरपाल नसीब नहीं हो रहा है। भूकंप पीड़ितों का यह दुख किसी और ने नहीं, बल्कि यहां के अधिकारियों ने शनिवार को बयां किया।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शनिवार को कहा कि बरपाक में अन्न का एक दाना वितरित नहीं किया गया है। आयोग ने सरकार से गोरखा जिले में पीड़ितों को सभी जरूरी वस्तुएं मुहैया कराने का अनुरोध किया है। आयोग के सदस्य सुदीप पाठक ने कहा कि हमने गोरखा जिला मुख्यालय में भोजन से लदे ट्रक देखे हैं, लेकिन भूकंप में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ बरपाक भोजन और दवा जैसी जरूरी चीजों से पूरी तरह वंचित है।

उन्होंने कहा कि कुछ बच्चे और बुजुर्ग फ्लू जैसे लक्षणों और अतिसार या दस्त से ग्रस्त हैं, लेकिन क्षेत्र में कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। रपटों में कहा गया है कि तंबू और तिरपाल की कमी की वजह से हजारों लोग खुले आसमान तले रहने को विवश हैं। जानलेवा भूकंप में बचे कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें अभी तक सरकार से कोई राहत सामग्री नहीं मिली है।

नुवाकोट निवासी हरि तमांग ने फोन पर बताया कि नुवाकोट में कुछ घरों को छोड़कर कुछ इलाकों में भूकंप पीड़ितों को कोई राहत सामग्री नहीं मिल रही है। राहत सामग्री पाने वाले ये घर राजनेताओं से संबंधी हैं। उन्होंने कहा कि उनके इलाके बिदुर में 500 में से 300 परिवार खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। भूकंप ग्रस्त इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कतें पेश आने के बाद काठमांडू स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की ओर से शनिवार को कहा गया कि सुदूरवर्ती इलाकों में पहुंचने की कोशिशें जारी है।

नेपाल में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक जैमी मैकगोल्डरिक ने कहा कि हमारे पास जरूरतमंदों तक पहुंचने के साधन कम हैं। उन्होंने कहा कि मानसून करीब होने की वजह से हमारे लिए उनके सिर पर छत मुहैया कराना और उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी करना आवश्यक है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद धकाल ने शनिवार को कहा कि हमने भोजन और अन्य चीजों की आपूर्ति कराने की भरसक कोशिश की है, लेकिन तंबू की मांग इतना अधिक है कि हम उसे पूरा करने में अभी भी पीछे हैं। यही वजह है कि शहरी मंत्रालय से मदद करने की गुहार लगाई है।

गृह मंत्रालय ने कहा कि भूकंप पीड़ित इलाकों में 1.06 लाख कुंटल चावल वितरित किया गया है, लेकिन यह नाकाफी है। नेपाल में विनाशकारी भूकंप के कारण 6,00,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं और वे सभी सरकारी मदद पर निर्भर हो गए हैं। पीड़ितों में अब तक 3,09,000 तंबू वितरित किए जा चुके हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार सोमवार तक 50,000 अतिरिक्त तंबू उपलब्ध कराएगी। इससे पूर्व उसने भूकंप पीड़ितों को करीब 1,00,000 तंबू दिए थे।

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पाकिस्तान ने IMF के आगे फिर फैलाए हाथ, की नए लोन की डिमांड

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने आईएमएफ के सामने एक बार फिर भीख का कटोरा आगे कर दिया है। पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ ने आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से मुलाकात कर उनसे नए ऋण कार्यक्रम पर चर्चा की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा कि पीएम शहबाज की मुलाकात रियाद में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मौके पर हुई।

रियाद में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक बैठक से इतर शरीफ ने तीन अरब अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था (एसबीए) हासिल करने में पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा का शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान ने पिछले साल जून में तीन अरब अमेरिकी डॉलर का आईएमएफ कार्यक्रम हासिल किया था। पाकिस्तान मौजूदा एसबीए के इस महीने समाप्त होने के बाद एक नई दीर्घकालिक विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) की मांग कर रहा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के नुसार, “दोनों पक्षों ने पाकिस्तान के लिए एक अन्य आईएमएफ कार्यक्रम पर भी चर्चा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछले वर्ष से हासिल लाभ समेकित हो और आर्थिक वृद्धि सकारात्मक बनी रही।’’ शरीफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा कि इस्लामाबाद जुलाई की शुरुआत तक नए कार्यक्रम पर कर्मचारी स्तर का समझौता हासिल कर सकता है। यदि पाकिस्तान को यह मदद मिल गई तो उसको आईएमएफ की ओर से यह 24वीं सहायता होगी।

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