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मनोरंजन

नागार्जुन के बेटे की फिल्म ‘अखिल’ का प्रदर्शन स्थगित

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नागार्जुन के बेटे अखिल अक्किनेनी की पहली तेलुगू फिल्म ‘अखिल’ का प्रदर्शन कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई है। फिल्म 22 अक्टूबर को प्रदर्शित होनी थी। फिल्म के प्रदर्शन की नई तिथि की घोषणा जल्द ही की जाएगी। फिल्म निर्माता नितिन रेड्डी ने खेद जताते हुए गुरुवार रात ट्वीट किया कि कुछ कंप्यूटर ग्राफिक्स के काम के कारण फिल्म के प्रदर्शन में देरी हो रही है।

रेड्डी ने ट्विटर पर लिखा, “ग्राफिक्स के काम में देरी की वजह से हम 22 अक्टूबर को ‘अखिल’ का प्रदर्शन करने में असमर्थ हैं।”

वी.वी. विनायक द्वारा निर्देशित फिल्म से दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार की पोती सायशा भी फिल्म जगत में कदम रख रही हैं।

इसबीच, तेलुगू रोमांटिक फिल्म ‘कंचे’ 22 अक्टूबर को प्रदर्शित होगी। जबकि इससे पहले फिल्म के प्रदर्शित होने की तारीख छह नवंबर तय थी।

 

मनोरंजन

हाईकोर्ट पहुंचे जैकी श्रॉफ, बिना इजाजत ‘भ‍िडू’ बोला तो देना होगा 2 करोड़ जुर्माना

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मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज एक्‍टर जैकी श्रॉफ को आपने अक्सर ‘भ‍िडू’ शब्द का प्रयोग करते सुना होगा। कई बार उनसे मुलाकात के दौरान उनके फैंस भी इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब अगर आपने आगे से ऐसा किया तो आपको 2 करोड़ रु का जुर्माना देना पड़ सकता है। एक्‍टर ने ‘व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा’ के तहत ‘भ‍िडू’ शब्‍द के इस्‍तेमाल पर दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कई संस्‍थानों के ख‍िलाफ केस किया है।

यह मामला उन संगठनों के खिलाफ दायर किया गया है जो जैकी श्रॉफ का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना व्यावसायिक लाभ के लिए कर रहे हैं। उम्मीद है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुनाएगा ताकि अभिनेता के प्रचार अधिकारों की रक्षा की जा सके। मामले को कल 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

यह पहली बार नहीं है कि किसी बॉलीवुड अभिनेता ने गोपनीयता और प्रचार अधिकार के लिए अदालत से मदद मांगी है। इससे पहले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने लोगों को अभिनेता की नकल करने और उनकी सहमति के बिना उनकी आवाज का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

दूसरी ओर पिछले साल अनिल कपूर ने भी अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसके अलावा, इस साल जनवरी में अनिल कपूर ने केस जीत लिया। इसमें उन्होंने ‘झकास’ शब्द वाला तकिया कलाम, अपने नाम, आवाज, बोलने के तरीके, छवि, समानता और हावभाव की सुरक्षा की मांग की थी। उनका कहना था कि इसका प्रयोग न किया जाए।

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