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आध्यात्म

धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू, सुरक्षा में एनएसजी भी लगी

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रथयात्रा, अहमदाबाद, जगन्नाथ, मुख्यमंत्री विजय रुपानी, गुजरात

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अहमदाबाद । अहमदाबाद में रविवार को भगवान जगन्नाथ की 140वीं रथयात्रा शुरू हो गई। 15 किमी तक निकलने वाली इस यात्रा के दीदार के लिए लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा।

रथयात्रा, अहमदाबाद, जगन्नाथ, मुख्यमंत्री विजय रुपानी, गुजरात

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने रथ के रास्ते को साफ करने की प्रतीकात्मक रस्म का निर्वाह किया। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों ने जमालपुर क्षेत्र स्थित 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से शनिवार को यात्रा शुरू की।

रथयात्रा के शुरू होने से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सुबह के समय मंदिर में ‘मंगल आरती’ की। यात्रा में 18 हाथी, 101 ट्रक, सात कार, 30 अखाड़ों के सदस्य और 18 भजन मंडली शामिल हैं।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल आषाढ़ महीने के दूसरे दिन ‘आषाढ़ी बिज’ को यह यात्रा निकाली जाती है। यात्रा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील जमालपुर, कालूपुर, शाहपुर और दरियापुर जैसे कुछ इलाकों से गुजरेगी।

रथयात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए यात्रा मार्ग पर पुलिसकर्मी और अर्द्धसैनिक बलों के 20 हजार से अधिक कर्मचारी तैनात किए गए हैं। इनमें एनएसजी कमांडो भी शामिल हैं। यात्रा में पहली बार एनएसजी की कंपनी तैनात की गई है।

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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