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मुख्य समाचार

धर्म ने नाम पर ठगे जाते सनातनी धर्मावलंबी

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आस्था अंधी होती है, धर्मपरायण सनातन जनता, धर्म के नाम पर ठगने वाले, राधे मां उर्फ सतविंदर कौर, चंद्रा स्वांमी, आसाराम, उनके पुत्र नारायन स्वांमी, नित्यानंद स्वामी, निर्मल बाबा

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कहते हैं आस्था अंधी होती है लेकिन जब इस अंधेपन से बाहर निकलकर सच्चाई का सामना होता है तो अंधभक्तों का भरोसा अपने आराध्य से उठ जाता है। भारत में वैसे भी बाबाओं, स्वामियों और संन्यासियों के ढोंगी होने का लंबा इतिहास रहा है। चंद्रा स्वांमी, आसाराम, उनके पुत्र नारायन स्वांमी, नित्यानंद स्वामी, निर्मल बाबा जैसे लोगों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इस फेहरिस्त का नया नाम है राधे मां।

खुद को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां पर उनकी ही एक भक्त महिला ने दहेज के लिए ससुरालवालों से प्रताडि़त करवाने का आरोप लगाया है। मुंबई की बोरीवली पुलिस ने इस मामले में राधे मां सहित सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अगर राधे मां उर्फ सतविंदर कौर का इतिहास देखें तो पंजाब के गुरूदासपुर में इनका जन्म हुआ और पंजाब के ही रहनेवाले बिजनेसमैन मोहन सिंह से इनकी शादी हुई। शादी के बाद एक महंत से राधे मां की मुलाकात हुई तत्परश्चात इन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपना लिया। कुछ समय बाद वे मुंबई आ गईं और खुद को देवी का अवतार घोषित कर राधे मां नाम दे दिया।

राधे मां के विलासितापूर्ण जीवन व जेवर गहनों से लदे हुए उनको देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वो संन्यासी हैं या देवी का अवतार हैं लेकिन आस्था और भक्ति तो अंधी होती है। राधे मां के बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि वो आधुनिक पोशाकें पहनने की भी शौकीन हैं और फिल्मीं गानों पर ऐसी ही पोशाकें पहनकर डांस भी करती हैं। सनातन धर्म को बदनाम और कमजोर करने वाले ऐसे तथाकथित धर्म के ठेकदारों के प्रति लोगों का लगाव देखकर दुःख भी होता है और आश्चर्य भी। ऐसे तथाकथित देवियों और संन्यासियों के भक्त भी काफी हाई प्रोफाइल होते हैं पता नहीं कैसे उनकों ऐसे लोगों की असलियत समय रहते मालुम नहीं हो पाती।

अभी हाल ही में एक डांस बार व बियर बार संचालक को हरिद्वार में महामंडलेश्वर का पद सौंपने को लेकर भी विवाद हुआ। विवाद बढ़ने पर महामंडलेश्वर की पदवी से नवाजे गए सचिन दत्ता उर्फ स्वामी सच्चिदानंद को पद से हटा दिया गया। अब राधे मां और सचिन दत्ता को लेकर अखाड़ों में भी विवाद बढ़ने की संभावना बताई जा रही है। नासिक कुंभ के दौरान यहन विवाद ज्यादा बढ़ सकता है।

धर्मपरायण सनातन जनता को धर्म के नाम पर ठगने वाले ऐसे बाबाओं और देवियों से सावधान रहना होगा क्योंकि धर्म का सीधा संबंध इंसान की भावनाओं से होता है। इसलिए भावनाओं से खेलने का यह खेल बंद होना चाहिए। धर्मपरायण जनता को भी ऐसे तथाभकथित बाबाओं की भक्ति के चक्कार में न पड़कर सीधे भगवान की भक्ति करनी चाहिए आखिरकार मोक्ष या पुण्य तो भगवान की भक्ति से ही मिलेगा न कि ऐसे ढ़ोंगी संत-महात्माओं की भक्ति से।

 

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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