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दशक भर में सबसे ज्यादा संसदीय कार्य : नायडू
हैदराबाद | संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने सोमवार को दावा किया कि इस सत्र में पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा काम हुए हैं। नायडू ने संवाददाताओं से कहा उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि लोकसभा और राज्यसभा में इस सत्र में सबसे ज्यादा काम हुए हैं। उन्होंने इसे दुर्लभ उपलब्धि करार देते हुए सभी पार्टियों के सांसदों की सराहना की।
नायडू ने कहा, “यह किसी एक पार्टी या सरकार की वजह से संभव नहीं हुआ है, बल्कि सभी पार्टियों की सामूहिक बुद्धिमता और मेहनत से हम यह उपलब्धि हासिल कर पाए हैं।” उन्होंने पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अध्ययन नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि इस बार संसद में 121 फीसदी कार्य हुआ है, जो 10 सालों में सबसे ज्यादा है। नायडू ने कहा, “मेरी जानकारी के मुताबिक, लोकसभा में 123.5 फीसदी और राज्यसभा में 106 फीसदी कार्य संपन्न हुए हैं। दोनों सदनों में कुल मिलाकर 121 फीसदी कार्य हुए हैं, जो एक दशक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।” मंत्री ने कहा कि सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने और कार्यवाही में बाधा के बावजूद अर्थव्यवस्था से जुड़े तीन महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक विधेयक दोनों सदनों में पारित किए गए। उन्होंने दावा किया कि इन विधेयकों से आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
उन्होंने कहा कि बीमा विधेयक सात सालों से लंबित था। कोयला खनन विधेयक से कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता आई और सरकार को 2.09 लाख करोड़ राजस्व का फायदा मिला। उन्होंने दावा किया कि खान एवं खनन विधेयक भी राज्यों के लिए फायदेमंद और हितकर साबित होंगे। नायडू ने कहा कि सरकार द्वारा अंतर-सत्र अवधि में घोषित छह अध्यादेशों में से पांच अधिनियम बन चुके हैं। संसद ने मोटर वाहन विधेयक एवं भारतीय नागरिकता विधेयक भी पास कर दिया है। नायडू ने आशा जताई कि आने वाले दिनों में संसद भूमि अधिग्रहण विधेयक सहित तीन अन्य महत्वपूर्ण कानून पारित करेगा। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक कर प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा और कमियों का पता लगाकर विक्रेताओं का उत्पीड़न रोकेगा, जबकि दूसरे विधेयक काला धन पर नियंत्रण लगाने में सहायक होंगे।
नायडू ने कांग्रेस महासचिव दिग्वजिय सिंह के उस बयान को खेदजनक और निंदनीय करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि खनन एवं खनिज तथा कोयला विधेयक को समर्थन देने वाली पार्टियों ने ‘किन्हीं कारणों से’ सरकार के साथ समझौता कर लिया था। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से खनिज संपदा संपन्न सभी राज्यों के लोगों को लाभ मिलेगा, चाहे वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार हो या कांग्रेस की या फिर क्षेत्रीय दलों की।
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जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।
जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।
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