मुख्य समाचार
झाबुआ विस्फोट : जांच आयोग गठित
झाबुआ| मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुए विस्फोट की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। आयोग के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर्येन्द्र कुमार सक्सेना बनाए गए हैं। आधिकारिक तौर पर मंगलवार रात जारी बयान में बताया गया है कि आयोग तीन माह में जांच कर अपनी रपट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। इस आयोग का मुख्यालय इंदौर में होगा। आयोग इसकी जांच करेगा कि विस्फोट किन परिस्थितियों में हुआ और इसके लिए कौन-कौन उत्तरदायी हैं? भवन स्वामी अथवा किरायेदार के पास विस्फोटक संग्रहण या उपयोग करने का लाइसेंस था? यदि था तो वह किस प्राधिकार द्वारा जारी किया गया था? इसके साथ ही आयोग अन्य बिंदुओं की जांच भी करेगा।
आयोग इस बात की भी जांच करेगा कि भवन में विस्फोटक सामग्री का अवैध संग्रहण करने के संबंध में कोई शिकायत की गई थी? यदि शिकायत की गई थी तो उसे किस अधिकारी ने प्राप्त किया तथा उस पर क्या कार्रवाई हुई? आयोग ऐसे अन्य विषयों की भी जांच करेगा, जो इस मामले से जुड़े हों। आयोग ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के सुझाव भी देगा।
उल्लेखनीय है कि शनिवार सुबह पेटलावद के न्यू बस स्टेंड के करीब स्थित सेठिया होटल में गैस सिलेंडर के फटने और उसके बाद होटल के करीब ही स्थित राजेंद्र कासवा के गोदाम में खनन कार्य के लिए रखे विस्फोटकों में हुए विस्फोट में 89 लोगों की जान चली गई, जबकि 100 से अधिक घायल हो गए। इनमें कई गंभीर हैं। घायलों का इंदौर, रतलाम, धार व दाहोद के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
राज्य सरकार इस विस्फोट के मुख्य आरोपी राजेंद्र कासवा पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित करने के अतिरिक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) पहले ही बना चुकी है। पेटलावद में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी-राजस्व (एसडीएम) और अनुविभागीय अधिकारी-पुलिस (एसडीओपी) को भी हटाया जा चुका है। पुलिस की छापेमारी जारी है, लेकिन अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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