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मुख्य समाचार

जोर का झटका तो जोर से ही लगता है

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जवाबदेही, दिल्लीर के मुख्यंमंत्री, प्रचंड बहुमत से पैदा हुई अपनी जवाबदेही, दिल्लीह के उपराज्य पाल नजीब जंग, केजरीवाल सरकार, पूर्णराज्यर का दर्जा

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जवाबदेही विभाजित नहीं हो सकती, जिस बात और जिस काम के लिए जिसकी जवाबदेही तय है उसे वो देनी पड़ेगी जवाबदेही से भागकर खासतौर से राजनीति के क्षेत्र में, बचा नहीं जा सकता जनता जवाबदेही तय करने के लिए ही वोट देती है। दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री दिल्‍ली की जनता द्वारा दिए गए प्रचंड बहुमत से पैदा हुई अपनी जवाबदेही से भागते हुए दिख रहे हैं।

दिल्‍ली सरकार और दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल नजीब जंग के बीच अधिकारों को लेकर चल रही जंग में देश की शीर्ष अदालत एवं दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय दोनों ने केजरीवाल सरकार को जोरदार झटका दिया है, माननीय अदालतों ने अपने फैसले में केजरीवाल सरकार को उनकी हद बता दी है साथ ही उप राज्‍यपाल के अधिकारों की भी व्‍याख्‍या की है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि दिल्‍ली की जनता से किए गए भ्रामक व कभी न पूरा हो पाने वाले वादों के लिए किसकी जवाबदेही है? इसी जवाबदेही से बचने के लिए अरविंद केजरीवाल नित नए विवादों को जन्‍म देते रहते हैं।

लगातार अपने विवादित फैसलों और बयानों से चर्चा में बने रहने वाले आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को देश की शीर्ष अदालत व दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय ने जो आइना दिखाया है उससे हताश पार्टी का कोई भी नेता या कार्यकर्ता उक्‍त मुद्दे पर टीवी पर चलने वाले बहस में शामिल होने नहीं आया। यह केजरीवाल के भगोड़ेपन व बड़बोलेपन की एक और निशानी है। सबसे बड़ा तरस तो दिल्‍ली की जनता पर आता है जिसने बड़ी आशा व विश्‍वास के साथ केजरीवाल को दो बार सत्‍ता सौंपी और दोनो ही बार उसे धोखा मिला।

अभी अपनी सरकार के सौ दिन पूरा होने पर अपनी कैबिनेट के साथ दिल्‍ली की जनता के बीच बैठने की नौटंकी करने वाले केजरीवाल ने इसी बैठक में केंद्र सरकार की अधिसूचना पर सरकार को काफी भला बुरा कहा था यहां तक कि दिल्‍ली विस में इसके खिलाफ प्रस्‍ताव तक पारित करा दिया। यह सब कवायद सिर्फ इसलिए ताकि जनता की जवाबदेही से बचा जा सके और जनता का ध्‍यान मुद्दों से भटकाया जा सके।

सभी जानते हैं कि दिल्‍ली को पूर्णराज्‍य का दर्जा नहीं प्राप्‍त है दिल्‍ली सरकार के अधिकार सीमित हैं तो आखिर यह सब जानते हुए भी अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ सत्‍ता पाने की लालच में दिल्‍ली की जनता से लोकलुभावन वादे करते हुए उसे धोखा क्‍यों दिया? जबकि केजरीवाल जानते हैं कि इन वादों को पूरा कर पाना उनके वश की बात नहीं थी।

सवाल इससे भी आगे का है कि दिल्‍ली की पढ़ी लिखी जनता इन वादों में फंस कैसे गई? क्‍या दिल्‍ली वासी यह नहीं जानते थे कि केंद्र में जिस दल की सरकार है यदि दिल्‍ली में उस दल की सरकार नहीं बनीं तो विकास में बाधा आएगी? दिल्‍ली की जनता को आम आदमी पार्टी के विधायक और मंत्रियों से यह पूछना चाहिए कि जब उनकी हैसियत ही ऐसे वादों को पूरा करने की नहीं थी तो उन्‍होंने वादा क्‍यों किया? खैर अब कुछ भी हो 2020 तक तो दिल्‍लीवासियों को केजरीवाल और उनकी टीम की नित नई नौटंकियां झेलनी ही पड़ेंगी क्‍योंकि आखिर उन्‍हे चुना भी उन्‍होंने ही है।

नेशनल

सामने आई स्वाति मालीवाल की मेडिकल रिपोर्ट, शरीर के इन हिस्सों पर चोट के निशान

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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट के बाद उनका एम्स में मेडिकल टेस्ट कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट आ गई हैं। रिपोर्ट देखकर पता चलता है कि स्वाति के शरीर पर चार जगह चोट लगी थी। एम्स की रिपोर्ट में सामने आया है कि स्वाति मालीवाल को ‘बाएं पैर के थाइस’ पर 3×2 सेंटीमीटर के आकार की चोट थी और उनके ‘दाहिनी आंख के नीचे दाहिने गाल’ पर 2×2 सेंटीमीटर आकार की एक और चोट थी।

एम्स के डॉक्टर आनंद गंगदेव द्वारा बनाई गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीज द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सीएम के आवास पर 13 मई को उनपर परिचित व्यक्ति ने हमला किया था. उन्हें कई बार थप्पड़ मारे गए और उनके सिर पर कठोर वस्तु से हमला किया गया और वह जमीन पर गिर गईं. उनके पेट, पेल्विस और चेस्ट पर पैर से कई बार मारा गया. मरीज फिलहाल जांघ और पेल्विस एरिया में दर्द की शिकायत कर रहा है।

सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें सिविल लाइन्स थाने लेकर जाया गया है। दिल्ली पुलिस को पहले ही बिभव कुमार के सीएम हाउस में होने का इनपुट मिला था। सूचना के बाद पुलिस टीम में एसएचओ सिविल लाइंस और एडिशनल डीसीपी नॉर्थ सीएम आवास पर पहुंचे थे। सूचना मिलने के बाद एक गाड़ी सीएम हाउस में पहुंची थी। दिल्ली पुलिस की टीम जब सीएम हाउस पर पहुंची तब वहां पर पहले से ही गेट खुले हुए थे। इस गाड़ी को गेट पर नहीं रोका गया और गाड़ी सीधा सीएम हाउस में चली गई। गाड़ी के लिए पहले से सीएम हाउस में मैसेज था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम सीधे सीएम हाउस में गई और फिर वहां से बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

बता दें कि गिरफ्तारी से पहले ही बिभव कुमार ने एक मेल किया था, जिसमें उसने हर जांच के लिए साथ देने की बात कही थी। अपने मेल में बिभव कुमार ने लिखा कि ‘मैं हर जांच में सहयोग को तैयार हूं। मुझे मीडिया के माध्यम से FIR दर्ज होने के बारे में जानकारी हुई। अभी तक मुझे एफआईआर के बाद कोई नोटिस नहीं दिया गया है। मेरी शिकायत पर भी दिल्ली पुलिस संज्ञान ले।’

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