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जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को राज्यसभा से मिली मंजूरी

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नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित चार विधेयकों को पारित कर दिया गया। इसके साथ ही देश में एक जुलाई से एकीकृत कर प्रणाली लागू करने का रास्ता खुल गया। जीएसटी से संबंधित चारों विधेयकों – केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, समेकित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक और केंद्र प्रशासित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक – पर राज्यसभा में दो दिन नौ घंटे तक बहस चली, जिसके बाद इसे पारित कर लोकसभा को लौटा दिया गया।

विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि करों से छूट प्राप्त वस्तुएं जीएसटी लागू होने तक कर प्रणाली से बाहर ही रहेंगी। जेटली ने कहा, “मौजूदा समय में जिन वस्तुओं पर कर नहीं लगता, उन्हें आगे भी कर से छूट प्राप्त होगा। मौजूदा स्थिति आगे भी बहाल रहेगी।” जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत टैक्स फाइल करना आसान होगा और नए अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में तिमाही आधार पर टैक्स रिटर्न फाइल करने का प्रावधान रखा गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस नई कर प्रणाली में केंद्र और राज्यों की संप्रभुता को एकीकृत किया गया है और इससे पहले एक राजनीतिक इकाई होने के बावजूद देश अलग-अलग राज्यों द्वारा अलग-अलग कर लगाने के कारण भिन्न-भिन्न अर्थव्यवस्थाओं वाला था। जेटली ने कहा, “जीएसटी के तहत केंद्र और राज्य दोनों को कर लगाने का अधिकार होगा। जीएसटी एकमात्र ऐसा कर होगा, जिसे केंद्र और राज्य एकसाथ लगाएंगे।” पेट्रोलियम उत्पादों पर कर दर को स्पष्ट करते हुए जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद ने जीएसटी प्रणाली में शामिल होने के बावजूद पेट्रोलियम उत्पादों को शून्य कर दर के अंतर्गत रखा जाएगा।

उन्होंने कहा, “जीएसटी परिषद ने फैसला किया है कि जीएसटी लागू होने के एक साल बाद हम पेट्रोलियम उत्पादों पर विचार करेंगे। मौजूदा समय में सांविधानिक तौर पर पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के अधीन आते हैं, लेकिन उन पर कोई कर नहीं लगेगा। परिषद एक बार इस पर कोई फैसला कर ले, उसके बाद पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के तहत कर लगाया जाएगा और इसके लिए हमें संविधान में संशोधन नहीं करना होगा।”

सूचना एवं प्रौद्योगिकी को आधार बनाने वाले जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में बदलाव करने की मांग पर जेटली ने कहा कि कंपनी को लचीला बनाए रखने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद हितधारकों की हिस्सेदारी सुनिश्चित कर ली गई है। उन्होंने कहा, “सरकार जीएसटीएन में 1-2 फीसदी अधिक हिस्सेदारी अपने पास रख सकती है, लेकिन अभी यह निश्चित नहीं है कि इससे लचीलापन बना रहेगा या नहीं। हमें इसमें बदलाव करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। अगर कोई सूचना लीक होती है तो प्रबंधन को दंडनीय परिणाम भुगतने होंगे।”

जीएसटीएन में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 24.5 फीसदी होगी, जबकि राज्य सरकारों की हिस्सेदारी भी 24.5 फीसदी होगी। इसके बाद एचडीएफसी, एनएसई स्ट्रैटजिक इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में से प्रत्येक के पास 10-10 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। कारोबार रिसर्च एजेंसी ‘टोफ्लर’ से आईएएनएस ने कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) में दाखिल फाइलें हासिल कीं, जिनके अनुसार एलआईसी फाइनेंस के पास जीएसटीएन में 11 फीसदी हिस्सेदारी होगी।

जीएसटी पर चर्चा के दौरान जनता दल युनाइटेड के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा, “जीएसटी को सरल बनाया जाना चाहिए, ताकि जनता को टैक्स से संबंधित कोई परेशानी न झेलनी पड़े।” वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता प्रफुल्ल पटेल ने जीएसटी में प्रस्तावित ‘सख्त दंड’ के प्रावधान पर आशंका जाहिर करते हुए कहा कि कारोबार के लिए बेहतर माहौल तैयार कर इसे दूर किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हर आर्थिक अपराध के लिए जेल की सजा नहीं होनी चाहिए।” मार्क्?सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि जीएसटी लागू करते हुए देश के संघीय ढांचे से छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए। येचुरी ने जीएसटी विधेयक को राज्यसभा में वित्त विधेयक के रूप में पेश किए जाने पर नाखुशी व्यक्त की और कहा कि सरकार को इसे वित्त विधेयक की तरह नहीं पेश करना चाहिए था।

येचुरी ने जीएसटी का लेखा परीक्षण नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से कराए जाने का सुझाव देते हुए कहा, “संसद की अवहेलना नहीं की जा सकती।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा ने भी येचुरी से सहमति जताई। लोकसभा में जीएसटी से संबंधित चारों विधेयकों को 29 मार्च, 2017 को पारित किया जा चुका है। केंद्रीय जीएसटी विधेयक 2017 कर वसूली, केंद्र सरकार द्वारा राज्य के भीतर सामानों, सेवाओं या दोनों पर कर संग्रह की व्यवस्था करेगा।

समेकित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक राज्य के भीतर आपूर्ति पर कर संग्रह का प्रावधान होगा। वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक के तहत जीएसटी लागू होने पर राज्यों के राजस्व घाटे पर मुआवजा दिया जाएगा। केंद्र प्रशासित जीएसटी विधेयक में केंद्र शासित प्रदेशों जैसे अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दमन और दीव तथा दादरा और हवेली में जहां उनकी अपनी विधानसभाएं नहीं हैं, वहां केंद्र सरकार द्वारा कर लगाने और उसे वसूलने का प्रावधान किया गया है।

जीएसटी विधेयक में लेवी तथा सभी तरह के अंतर्राज्यीय करों, उत्पाद शुल्क, ऑक्टराई, मूल्य वर्धित कर (वैट) आदि को समाहित कर दिया गया है। अब इसके बजाए वस्तुओं और सेवाओं के लिए केवल जीएसटी ही चुकाना होगा। जीएसटी में करों की दरों को चार स्तरीय रखा गया है। जीएसटी परिषद ने करों की दरों को 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी के ढांचे में रखने की मंजूरी दी है। वहीं, इसमें करों की अधिकतम दर 40 फीसदी तक रखने की बात कही गई है, लेकिन उसे केवल वित्तीय आपातकाल के मौके पर ही लागू किया जाएगा।

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प्रियंका का पीएम मोदी पर पलटवार, कहा- मेरा भाई 4 हजार किमी पैदल चला, तब आप अपने महल में थे

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बनासकांठा। गुजरात के बनासकांठा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा कि पीएम मोदी शहंशाह हैं जो महल में रहते हैं लेकिन जनता से कटे हुए हैं। प्रियंका गांधी ने कहा, “वह (पीएम मोदी) मेरे भाई को शहजादा कहते हैं लेकिन मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि यह शहजादे आपकी (लोगों की) समस्याएं सुनने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4,000 किलोमीटर तक चले। उन्होंने मेरे भाइयों और बहनों, किसानों और मजदूरों से मुलाकात की और उनसे पूछा कि हम उनकी समस्याओं का कैसे समाधान कर सकते हैं।”

प्रियंका ने आगे कहा, ‘और एक तरफ आपके शहंशाह..हैं. महलों में निवास करते हैं। आपने कभी टीवी पर उनका चेहरे को देखा है? एकदम साफ सुथरा सफेद कुर्ता, एक दाग नहीं है धूल का। एक बाल इधर से उधर नहीं होता है। वो कैसे समझ पाएंगे कि आपकी मजदूरी, आपकी खेती। किस तरह से समझ पाएंगे कि आप किस दलदल में धंसे हुए हो। महंगाई से आप दबे हुए हैं। हर तरफ महंगाई, मेरी बहनें… मिट्टी का तेल आज कितने का हो चुका है? सब्जी खरीदने जाती हैं तो भाव क्या है उसका… पेट्रोल डीजल का दाम क्या है, किस तरह से गुजारा होता है। खेती के हर सामान पर जीएसटी लग रही है। हर सामान अब महंगा हो गया है। अगर कोई त्योहार होता है, कुछ खरीदना होता है, फीस भरनी पड़ती है, इलाज करना पड़ता है ये मोदी नहीं जान सकते हैं।

​कांग्रेस महा​सचिव प्रियंका गांधी पीएम पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने दस सालों में अधिकार कम करने का काम किया है। पहले के ​पीएम लोगों के बीच गांवों में जाते थे। लोगों की बातें और उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते थे। गुजरात ने पीएम मोदी को सबकुछ दिया। सत्ता दी. पर अब आप उनको देखते हैं, वह बड़े-बड़े लोगों के साथ दिखाई देते हैं। वे कभी किसानों या गरीबों को के बीच नहीं दिखते हैं। वे अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किसी भी गरीब के घर नहीं गए।

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