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बिजनेस

जीएसटी: कर सुधारों के माध्यम से विकास का एक इंजन

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सत्यव्रत त्रिपाठी

भारत में सबसे बड़े कराधान सुधारों में से एक- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) – सभी राज्य अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। जीएसटी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक एकल, एकीकृत भारतीय बाजार बनाएगा। जीएसटी 2016/01/04 से लागू किया जाना निर्धारित है।
केंद्र सरकार ने लोकसभा में 19 दिसंबर 2014 को वस्तु कर एवं सेवाकर से संबंधित संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 पेश कर दिया। संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 संविधान में नए अनुच्छेद 246ए, 269ए, अनुच्छेद 279ए को शामिल करेगा और अनुच्छेद 268ए को समाप्त कर देगा जो संविधान में 88 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा शामिल किया गया था।

यह संविधान संशोधन विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गयी संघ सूची से प्रविष्टि 92 और 92सी और राज्य सूची से प्रविष्टि 52 और 55 समाप्त करेगा। सरकार ने यह विधेयक देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष करों की एक जैसी प्रणाली को स्थापित करने के उद्देश्य से पेश किया है। इसके अलावा इस विधेयक के द्वारा अनुच्छेद 248, 249, 250, 268, 269, 270, 271, 286, 366, 368 छठी अनुसूची और संघ सूची की प्रविष्टि 84 और संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में प्रविष्टि 54 और 62 को संशोधित करने का भी प्रावधान है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नयी प्रणाली से राज्यों को राजस्व का किसी प्रकार का घाटा नहीं होगा वास्तव में इससे राज्यों का राजस्व पहले से बढ़ेगा। इसे संसद से दो तिहाई बहुमत से पास कराना होगा। कम से कम इसका 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना जरूरी होगा। अनुच्छेद 246 ए: प्रत्येक राज्य के विधानमंडल वस्तु कर एवं सेवाकर संबंधित कानून को बना सकते हैं। बशर्ते की वह कानून संसद द्वारा अनुच्छेद 246।(2) के तहत पारित किये गए किसी भी अधिनियम की अवहेलना नहीं करता हो।

अनुच्छेद 246ए (2): केवल संसद के पास यह अधिकार होगा की वह माल की आपूर्ति या सेवाओं के अन्तर्राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के विषय में वस्तु कर एवं सेवाकर संबंधित कानून को बना सकती है।

अनुच्छेद 269ए: अंतर-राज्यीय व्यापार के सन्दर्भ में माल की आपूर्ति और सेवाओं पर जो जीएसटी लगाया जायेगा उसको केवल केंद्र सरकार द्वारा ही एकत्र किया जायेगा किन्तु जीएसटी परिषद की सिफारिश पर विधि द्वारा तय किये गए ढंग से संघ और राज्यों के बीच इसे विभाजित किया जाएगा।
अनुच्छेद 279ए: यह विधेयक भारत के राष्ट्रपति को 122 संविधान संशोधन अधिनियम 2014 के प्रारंभ होने की साठ-दिनों के भीतर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद का गठन करने का अधिकार देता है।

विधेयक के मुख्य प्रावधान
* यह विधेयक माल और सेवाओं का समावेश और बहिष्करण पर सिफारिश करने के लिए एक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के गठन का प्रावधान करता है।
* यह संघ सूची और राज्य सूची के दायरे में पेट्रोलियम कच्चे तेल, हाई स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट, प्राकृतिक गैस,विमानन टरबाइन ईंधन और तंबाकू और तंबाकू उत्पादों को लाता है।
* यह अंतर राज्य व्यापार के सन्दर्भ में माल कीआपूर्ति पर एक प्रतिशत तक अतिरिक्त कर का प्रावधान करता है और दो साल की अवधि के लिए संघ द्वारा उसे एकत्र करने का प्रावधान करता है एवं फिर राज्यों में उसे विभाजित किया जाएगा।
* संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त आय को छोड़कर, माल की आपूर्ति से प्राप्त अतिरिक्त कर की शुद्ध आय, भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं बनेगी और जहां से उसे प्राप्त किया गया है उन्ही राज्यों में विभाजित कर दी जाएगी।
* यह जीएसटी परिषद की सिफारिश पर संसद द्वारा बनए गए कानून के अनुसार पांच साल की अवधि के लिए जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न होने वाले राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजा उपलब्ध कराने का प्रावधान भी करता है।
* जीएसटी में सभी केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर, उपकर और केन्द्रीय बिक्री कर और राज्य वैल्यू एडेड टैक्स और सेल्स टैक्स स्वत: शामिल हो जायेंगे।
* संविधान संशोधन विधेयक संविधान के तहत विशेष महत्व के अंतर्गत घोषित माल की अवधारणा को प्रतिपादित करता है।
* जीएसटी के अंतर्गत मानव उपभोग के लिए मादक शराब को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है।
* जहां तक पेट्रोलियम उत्पादों का प्रश्न है,इन वस्तुओं को जीएसटी के अधीन नहीं किया जाएगा जब तक कि इस सम्बन्ध में एक तारीख/दिन की अधिसूचना जीएसटी परिषद द्वारा सिफारिश नहीं की जाती।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के बारे में
1. जीएसटी परिषद निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे
* केंद्रीय वित्त मंत्री: अध्यक्ष
* राजस्व या वित्त राज्य मंत्री: सदस्य
* वित्त कराधानराज्य मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री: सदस्य
2. जीएसटी परिषद अपने ही सदस्यों में से किसी एक का परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में चयन कर सकती है।
3.जीएसटी परिषद के कार्य
* राज्यों एवं केंद्र सरकार से उन करों, उपकरों, और अधिभार को जीएसटी में सम्मिलित करने के लिए सिफारिश करना जो संघ, राज्य या स्थानीय निकायों द्वारा लगाए गए हैं।
* उन वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी के अधीन करने के लिए,या उन पर छूट देने के लिए सिफारिश करना।
* सरकार को जीएसटी कानून,सिद्धांतों,एकीकृत जीएसटी के सन्दर्भ में आपूर्ति के मॉडल की सिफारिश करना।
* जीएसटी की सीमा तय करना जिसके अंतर्गत वस्तुओं को इससे छूट प्रदान की जा सके।
* किसी भी प्राकृतिक आपदा या आपदा के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए एक निर्धारित अवधि के लिए कोई विशेष दर या दरों की सिफारिश करना।
* अरूणाचल प्रदेश, असम, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के संबंध में विशेष प्रावधानों की सिफारिश करना।
4. परिषद का प्रतियेक निर्णय कम से कम तीन-चैथाई बहुमत से लिया जाएगा।
* केंद्र सरकार का मतदान में हिस्सा कुल वोटों की संख्या के एक-तिहाई के बराबरहोगा।
* सब राज्य सरकारों का मतदान में हिस्सा कुल वोटों की संख्या के दो तिहाई के बराबर होगा।
5. जीएसटी परिषद के सदस्यों की कुल संख्या का आधा इसकी बैठक को बुलाने के लिए आवश्यक होगा।
जीएसटी को लेकर अन्तर्राष्ट्रीय अनुभव
विश्व के लगभग 140 देशों में जीएसटी लागू है 1954 में सबसे पहले फ्रांस ने जीएसटी लागू किया कनाडा में जीएसटी 60ज की दर से लगाया जाता है जिससे कनाडा की जीडीपी में आश्चर्यजनक रूप से 24 ज की बढ़ोत्तरी देखने को मिली कनाडा के अनुभवों को भारतीय परिप्रेक्ष्य के सबसे निकट कहा जा सकता।

विश्लेषण
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 1947 के बाद से कर व्यवस्था में सबसे बड़ा सुधार बताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इसके लागू होने पर अप्रैल, 2016 से प्रवेश शुल्क (चुंगी) सहित सभी अप्रत्यक्ष कर इसमें सम्माहित हो जाएंगे और पूरे देश में वस्तुओं व सेवाओं का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी केंद्र व राज्य, दोनों के लिए फायदे का सौदा है और राज्यों को दूसरे राज्य से आने वाली वस्तुओं के प्रवेश पर शुल्क के हटने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए दो वर्ष तक एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने की छूट होगी।
जीएसटी आने के बाद काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे क्योंकि टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा और सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा.राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह भी खत्म हो जाएगी.अभी जो सामान खरीदते हैं लोग उस पर 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद ये टैक्स घटकर 20-25 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
जीएसटी का सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को होने वाला है क्योंकि तब कोई भी सामान पूरे देश में एक ही रेट पर मिलेंगी, चाहे किसी भी राज्य से खरीदें. जीएसटी के बारे में सबसे पहले मौजूदा राष्ट्रपति और तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2006-2007 के बजट में प्रस्ताव दिया था। माना जा रहा है कि जीएसटी के लागू होने के बाद देश की ग्रोथ रेट में तुरंत एक से डेढ़ फीसदी का इजाफा हो जाएगा किन्तु जीएसटी को लेकर कुछ शंकाएं भी हैंकि जीएसटी का सिस्टम पूरी तरह तैयार नहीं है इसलिए टैक्स स्लैब क्या होगा और नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई कौन करेगा। साथ ही कई राज्यों को जो छूट मिली है टैक्स वसूलने वह खत्म हो जाएगा। टैक्स बढ़ाने या घटाने का फैसला कौन करेगा इसपर भी चिंता है। राज्यों को मिली मनमर्जी से टैक्स वसूलने की छूट खत्म हो जाएगी।

(लेखक इंटरनेशनल सोसिओ-पोलिटिकल रिसर्च ऑगेर्नाइजेशन नई दिल्ली में रिसर्च फेलो हैं।)

बिजनेस

Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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