Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तराखंड

चीन को बर्दाश्त नहीं उत्तराखंड के बाड़ाहोती में चरवाहों की उपस्थिति

Published

on

उत्तराखंड के बाड़ाहोती, सीमा का उल्लंघन, चरवाहों की उपस्थिति, आसमान में भी घुसपैठ

Loading

उत्तराखंड के बाड़ाहोती, सीमा का उल्लंघन, चरवाहों की उपस्थिति, आसमान में भी घुसपैठ

indo china border uttrakhand

देहरादून। पिछले महीने जुलाई में चीन ने एक सप्ताह में ही तीन बार उत्तराखंड के बाड़ाहोती में सीमा का उल्लंघन किया है। ड्रैगन ने जमीन ही नहीं आसमान में भी घुसपैठ की। पिछले साल भी चीन ने 12 से अधिक बार भारतीय सीमा में घुसपैठ की। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों इस इलाके पर चीन की काली नजर है और इसके पीछे उसका मकसद क्या है?

दरअसल, बाड़ाहोती में चरवाहों के जरिए ही बहुत सारी सूचनाएं सीमावर्ती जिला प्रशासन और आईटीबीपी तक पहुंचती है। बाड़ाहोती में भारतीय चरवाहे सूचना का अहम स्रोत हैं। यही बात चीन को हजम नहीं होती है। भारत-चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के बाड़ाहोती बुग्याल क्षेत्र के साथ-साथ चरवाहों पर भी ड्रैगन की तिरछी नजर है। अक्सर उन्हें चीनी सैनिकों के सामने असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। पिछले महीने में खबरें आई थी कि बाड़ाहोती में चीनी सैनिक घुस आए हैं। जब भी चीन के सैनिक भारतीय सीमा में घुसपैठ करते हैं, भारतीय चरवाहे उनके निशाने पर होते हैं। सीमा क्षेत्र में चीनी सैनिक मेड इन चाइना का अपना सामान भी वहां फैलाते हैं।

साल 1959 में तिब्बत पर अपना अधिकार जामाने के बाद से ही इस इलाके में लगातार चीन अपना प्रभुत्व बढ़ाता रहा है। तिब्बती समुदाय के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा को भारत में शरण देने को लेकर भी चीन शुरू से ही अपनी आंखें तरेरता रहा है। 1962 में चीन ने जब भारत पर युद्ध थोपा तो उसके बाद से यहां भारत-चीन सीमा का चीन उल्लंघन करता रहता है।

चरवाहों की मानें तो चीनी सैनिकों से जब उनका सामना होता है तो उन्हें हर बार ऐसी ही असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। इस बार भी ड्रैगन के निशाने पर बाड़ाहोती बुग्याल में भेड-बकरियां चुगाने गए पालसी ही रहे हैं। चीनी सुरक्षा एजेंसियां कई चरवाहों को जासूस भी समझती हैं। यही वजह है कि चीनी सैनिक उत्तराखंड के बाड़ाहोती क्षेत्र से अकसर चरवाहों की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और उन्हें परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।

चरवाहों के मुताबिक, पिछले साल भी कुछ चीनी सैनिकों ने न सिर्फ उत्तराखंड के बाडाहोती क्षेत्र में दस्तक दी थी, बल्कि यहां चरवाहों के टेटों को भी नुकसान पहुंचाया था। बताया गया था कि चीनी सैनिकों ने चरवाहों को निचले इलाकों की तरफ भगा दिया था। बाड़ाहोती बुग्याल साल 1959 तक भारत तिब्बत चीन व्यापार का प्रमुख केन्द्र होता था। मगर चीन के तिब्बत पर आधिपत्य और बाद में 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद से इस स्थान पर होने वाला व्यापार बंद हो गया। उसके बाद से ही बाड़ाहोती के आसपास के इलाकों को लेकर भी ड्रैगन की तिरछी नजर रहने लगी है। चरवाहों की मानें तो चीनी घुसपैठिए इससे पूर्व भी कई बार इस क्षेत्र में आकर उनको परेशान कर चुके हैं।

 

उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद

Published

on

Loading

हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।

50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध

उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।

Continue Reading

Trending