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‘चपरासी का चंदा’ बना बीजू जनता दल के लिए मुसीबत
भुवनेश्वर। अगर कोई बड़ा उद्योगपति किसी पार्टी फंड में एक करोड़ रुपये देता है, तो इसे सामान्य बात समझा जाता है। लेकिन जब चंद हजार रुपये महीने कमाने वाला चपरासी किसी पार्टी को एक करोड़ रुपये का चंदा दें, तो मामला निश्चिंत ही संदिग्ध हो जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी के चपरासी पूरन चंद्र पाढी की ओर से पार्टी को एक करोड़ रुपये दिए हैं।
पिओन पाढी का कहना है कि उसने जो पैसा पार्टी के अकाउंट में डाला है वो पार्टी फंड है। ये चपरासी बीजेडी मुख्यालय में ही कार्यरत है। हालांकि बीजेडी ने पूरी रिपोर्ट को सिरे से नकारते हुए इसे फर्जी करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता प्रताप देब ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इस घिसेपिटे मुद्दे पर पिछले साल ओडिशा विधानसभा में चर्चा हुई थी। बीजेपी और कांग्रेस के विधायकों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया था। किसी तरह का कोई संदिग्ध लेनदेन नहीं हुआ है।
बता दें कि विपक्ष के नेता नारासिंघा मिश्रा ने पाढी से जुड़ा मुद्दा उठाया था और उस पर आरोप लगाया कि उसने एक दिन में पार्टी के अकाउंट में 8 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।
यह भी खबरें हैं कि 2009 के बाद से बीजू जनता दल ने अपने खर्च के ब्योरे से संबंधित वार्षिक तक रिपोर्ट जारी नहीं की है, जबकि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत ऐसा करना जरूरी होता है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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