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गोरक्षा के लिए संसद में बने कानून : अधोक्षजानंद

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गोरक्षा, संसद में कानून, पुरी पीठाधीश्वर स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ महाराज, गाय गंगा और गीता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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साक्षात्कार
विद्या शंकर राय

लखनऊ| देश में गोमांस को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच पुरी पीठाधीश्वर स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ महाराज का कहना है कि ‘गाय, गंगा और गीता’ की रक्षा करने का दंभ भरने वाले तथाकथित ‘ठेकेदारों’ को गोरक्षा को लेकर संसद में कानून बनाना चाहिए। अधोक्षजानंद ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब किस चीज का इंतजार कर रहे हैं? उन्हें खुद आगे आकर गोमांस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। स्वामी अधोक्षजानंद ने गोबर्धन (मथुरा) से फोन पर बातचीत की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तल्ख शब्दों में कटाक्ष करते हुए स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा, “चुनाव में तो ये लोग बहुत बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे। वादा किया था गाय, गंगा और गीता की रक्षा करने का, अब क्या हो गया? गाय की रक्षा को लेकर किए गए वादे कहां गए? पूर्ण बहुमत की सरकार है, फिर भी पता नहीं प्रधानमंत्री किसका इंतजार कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि संसद में आए दिन तरह-तरह के विधेयक पेश किए जा रहे हैं। एक विधेयक गोरक्षा को लेकर क्यों नहीं पेश किया जा रहा है? विधेयक में इस बात का उल्लेख हो कि गोमांस का निर्यात बंद किया जाएगा। बड़े-बड़े होटले में परोसे जाने वाले गोमांस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

अधोक्षजानंद कहते हैं, “होटलों की मेन्यू से गोमांस का नाम हटवाइए। निर्यात रोक दीजिए। गाय को लेकर लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाइए, जिसमें विभिन्न धर्मो के धर्मगुरुओं के साथ ही संत समाज भी सहयोग करेगा। लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए।” ज्ञात हो कि स्वामी अधोक्षजानंद ने एक अनूठी पहल करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खां को एक काली गाय और बछिया भेंट स्वरूप दी है। स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा, “मैंने आजम को गाय और बछिया भेंट की है। इसको लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमने अच्छे मन और नेक सोच के साथ उनको गाय और बछिया दी। इससे समाज में अच्छा संदेश जाएगा।” उन्होंने कहा कि आजम को गाय से बहुत लगाव है। उनको गाय की महत्ता के बारे में भी अच्छी तरह से पता है। वह भी तो लगातार इस बात को उठाते रहे हैं कि गाय की रक्षा के लिए केंद्र सरकार को कानून बनाना चाहिए और गोमांस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

दादरी हत्याकांड के बाद पैदा हुआ माहौल के बारे में भी स्वामी अधोक्षजानंद ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “भारत में मुस्लिम-हिंदू भाईचारा सदियों से चली आ रही है। आजादी में दोनों समुदायों का बराबर योगदान था। हर बड़ी मुसीबत में दोनों कौमें एक साथ नजर आई हैं। ऐसे में अफवाहों के आधार पर पूरे समाज का ताना-बाना छिन्न-भिन्न करने की इजाजत किसी को नहीं दी जानी चाहिए। इस तरह की घटनाओं पर राजनीति करने वाले नेताओं पर भी सख्ती दिखानी चाहिए।” उल्लेखनीय है कि स्वामी अधोक्षजानंद के गुरु और पुरी पीठ के पूर्व शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ महाराज भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में गौ संरक्षा अधिनियम को लेकर 72 दिनों तक उपवास पर रहे थे।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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