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गुजरात में विवादित आतंकवाद रोधी विधेयक फिर पारित

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गांधीनगर | विपक्ष के कड़े विरोध और सदन से बहिर्गमन के बीच गुजरात विधानसभा ने गुजरात आतंकवाद तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक मंगलवार को पारित कर दिया। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य राज्य में आतंकवाद व संगठित अपराध से निपटना है। यह विधेयक साल 2003 से ही लटका पड़ा है, जब इसे राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह ने इसे पेश किया था।

विधानसभा में बहुमत के कारण विधेयक पारित कराने में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी, लेकिन अतीत में राष्ट्रपति तीन बार इस विधेयक को लौटा चुके हैं। पहली बार इस विधेयक को साल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने लौटा दिया था। उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार थी। विधेयक के संशोधित स्वरूप को साल 2008 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने खारिज कर दिया था। उस वक्त केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार थी। बाद में राज्य के राज्यपाल ने इस विधेयक के कानून बनने में अडं़गा लगा दिया था।

विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री रजनी पटेल ने कहा, “यह कानून समय की मांग है। केवल आतंकवाद ही नहीं, बल्कि संगठित अपराध से भी कड़ाई से निपटने की जरूरत है।” कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, “सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है। विधेयक का केवल नाम बदला गया है। विधेयक की सामग्री जस की तस है। सरकार ने हमारे द्वारा उठाए गए तकनीकी मुद्दों को भी नहीं स्वीकारा।” गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (जीसीटीओसी) के नाम से यह विधेयक महाराष्ट्र के महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर ही है। विधेयक का नया प्रारूप संशोधनों के साथ है।

आलोचकों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक, अदालत में सबूत के रूप में पेश करने के लिए यह पुलिस को टेलीफोन टैपिंग सहित कई अधिकार प्रदान करता है। इस विधेयक के अन्य प्रावधानों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के समक्ष की गई स्वीकारोक्ति अदालत में सबूत के रूप में पेश करने के लिए मान्य होगी। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इस कानून के परिणामस्वरूप मनमाना बयान लेने के लिए हिरासत में संदिग्ध का उत्पीड़न किया जा सकता है। विधेयक के एक अन्य प्रावधान के मुताबिक, यह संदिग्ध के 15 दिनों की हिरासत के बजाय 30 दिनों के हिरासत की मंजूरी देता है, और पुलिस आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र वर्तमान में 90 दिनों की जगह 180 दिनों में दाखिल कर सकती है।

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गोयल इंस्टीट्यूट के छात्रों ने स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट कला विधि से बनाया पीएम मोदी का पोर्ट्रेट

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लखनऊ। गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाईयर स्टडीज महाविद्यालय लखनऊ के ललित कला विभाग के छात्रों ने 30 फीट के आकार में स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट की कला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पोर्ट्रेट बनाया।

यह दृश्य कला की नई विधा में धागे से बना पोर्ट्रेट अपने आप में खास है। इसे बनाने में कुल 30 घंटे का समय लगा। जिसमें धागे का वजन लगभग 15 किलो तथा उस धागे की कुल लंबाई लगभग 45 किलोमीटर है। छात्रों ने बताया कि चित्र के आकार में इस प्रकार की कला में यह अब तक का सबसे बड़ा आर्टवर्क है जो इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ द रिकॉर्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ द रिकॉर्ड तथा गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए प्रस्तावित है।

आठ छात्रों की टीम (ब्रेकअप टीम) का नेतृत्व बाराबंकी स्थित अमोली कला, रामनगर निवासी देवाशीष मिश्रा द्वारा किया गया। टीम के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों में अभिषेक महाराणा, आदर्श शांडिल्य, लारैब कमाल खान, अभय यादव, सानिध्य गुप्ता, आरुषि अग्रवाल व कृतिका जैन का नाम शामिल है। इसका संचालन डॉक्टर संतोष पांडेय, प्राचार्य गोयल इंस्टीट्यूट आफ हायर स्टडीज महाविद्यालय ने किया। निरीक्षण श्रीमती शिखा पांडेय वह राकेश प्रभाकर द्वारा किया गया। इसमें ललित कला विभाग के प्राध्यापकों व समस्त छात्रों के सहयोग रहा।

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