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नेशनल

गुजरात में बीजेपी का अपना आकलन, स्थिति बेहद कमजोर

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देहरादून से चंद्रशेखर जोशी की रिपोर्ट

अहमदाबाद। गुजरात में इस साल विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने बिगुल फूंक दिया है। बीजेपी 1 अक्टूबर से गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत कर रही है। गुजरात विधानसभा की 182 सीटों के लिए कांग्रेस भी जोर-शोर से प्रचार में लगी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 25 से 28 अगस्त तक गुजरात का दौरा भी किया।

वैसे गुजरात हमेशा से ही बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अर्थव्यवस्था की गति में गिरावट, नोटबंदी और जीएसटी के प्रति लोगों की निराशा को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि इस बार गुजरात में बीजेपी की राह आसान नहीं होगी।

गुजरात में बीजेपी का अपना सर्वे बता रहा है कि उनकी स्थिति बहुत खराब है। उनका राज्य नेतृत्व भी काफी कमजोर है। बीजेपी में अंदरूनी घमासान चल रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री को बार-बार स्वयं राज्य में आना पड़ रहा है। बता दें कि राज्य की वर्तमान विधानसभा की अवधि 22 जनवरी, 2018 को समाप्त हो रही है। इसके लिए इस साल के अंत तक चुनाव करवाए जाएंगे।

इस साल होने वाले चुनाव की बात करें, तो नोटबंदी और जीएसटी का मुद्दा बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इन दो मुद्दों को लेकर वोटर्स में काफी नाराजगी है। लिहाजा माना जा रहा है कि आने वाले चुनाव में शहरी इलाकों में भाजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

साल 2012 चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें, तो यह पता चलता है कि शहरी इलाकों के बिजनेस और ट्रेडिंग कम्युनिटी का वोट बीजेपी के खाते में आया था। चाहे सूरत में डायमंड इंडस्ट्री हो या फिर अहमदाबाद में टेक्सटाइल इंडस्ट्री, सभी शहरी सीटों पर भाजपा ने भारी मतों से जीत हासिल की थी, लेकिन, इस बार समीकरण बदल सकते हैं।

व्यापारियों की नाराजगी को भांपते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने दौरे पर बिजनेस कम्युनिटी से मुलाकात की। अपनी ‘नवसर्जन यात्रा’ के दौरान राहुल ने जामनगर में छोटे व्यापारियों से भी संपर्क किया।

इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, ‘नोटबंदी और जीएसटी के रूप में मोदी सरकार ने कुछ गंभीर गलतियां की हैं। इससे छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है।’

राहुल ने कहा, ‘जीएसटी पर कांग्रेस ने सरकार को धीरे चलने की सलाह दी थी, लेकिन मोदी सरकार बहुत जल्दी में है। सभी जानते हैं कि जल्दी का काम शैतान का होता है।’ कांग्रेस के मुताबिक, गुजरात में पीने के पानी की समस्या और बेरोजगारी भी एक चुनौती है।

नेशनल

दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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