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केंद्र का यू-टर्न, अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में नहीं ले जाएगी करगिल शहीद का केस

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नई दिल्ली। करगिल युद्ध के दौरान पाक सेना की हिरासत में बेरहमी से मारे गए शहीद कैप्टेन सौरभ कालिया की मौत की अंतरराष्ट्रीय जांच पर केंद्र सरकार ने यू-टर्न लिया है। केंद्र की राजग सरकार ने मामले की अंतरराष्ट्रीय जांच से इन्कार कर दिया है। पिछली संप्रग सरकार ने भी कहा था कि इस मामले को अतंरराष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाना संभव नहीं है। हालांकि तब विपक्ष में रही भाजपा ने संप्रग सरकार के इस फैसले पर उस पर जमकर हमला किया था। केंद्र सरकार ने संसद में अपने वर्तमान रुख की जानकारी दी है, जिसके बाद से ये मामला तूल पकड़ने लगा है।

कैप्टेन सौरभ कालिया को करगिल युद्ध के दौरान 1999 में पाकिस्तान सेना ने बंधक बना लिया था और अमानवीय यातनाएं देकर मार डाला था। एक महीने बाद पाकिस्तान ने उनका बुरी तरह से क्षत-विक्षत शव भारत को लौटाया। शहीद के शव की स्थिति को देखने के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर फैल गई थी और इसे युद्धबंदियों को लेकर जिनेवा संधि का उल्लंघन बताया गया था। तब इस मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में ले जाने की मांग पुरजोर ढंग से उठाई गई थी। इस पर तत्कालीन संप्रग सरकार ने कहा था कि पड़ोसियों के साथ रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आईसीजे में जाना कानूनी रूप से वैध नहीं होगा। अब मोदी सरकार ने संसद में बयान दिया है कि अंतर्राष्ट्रीय अदालत में इस मामले को ले जाना व्यावहारिक नहीं है। संसद में राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर के सवाल पर विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह की ओर से दिए गए जवाब से सरकार का आधिकारिक रुख सामने आया है। सरकार का रुख साफ है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाना मुमकिन नहीं है।

केंद्र सरकार के वर्तमान रुख पर शहीद सौरभ कालिया के पिता एनके कालिया ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है, ये एक सैनिक साथ अन्याय है। मैं सरकार के रुख से दुखी हूं। उल्लेखनीय है कि एनके कालिया 16 साल बाद भी अपने बेटे के लिए न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने इस मसले को लेकर 2012 में सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था। उनकी मांग है कि विदेश मंत्रालय इस मसले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाए, ताकि जिन पाकिस्तानी जवानों ने उनके बेटे की हत्या की उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके। इसका जवाब मोदी सरकार को अगली सुनवाई की तारीख 25 अगस्त को देना है।

नेशनल

भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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