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‘कमजोर मानसून से निपटने समुचित कार्रवाई करें, डरे नहीं’

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Drought in india

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अरविंद पद्मनाभन/अभिषेक रक्षित

नई दिल्ली/कोलकाता। मानसूनी बारिश के औसत से 12 फीसदी कम रहने का अनुमान पेश किया गया है और इसके प्रभावों से निपटने के लिए सरकार को तेजी से योजना बनानी होगी।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान घटकर 15 फीसदी भले ही रह गया है, लेकिन अर्थव्यवस्था पर कृषि के व्यापक प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। मानसूनी बारिश के पहले औसत से सात फीसदी कम रहने का अनुमान जताया गया था और उसी के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक ने देश की विकास दर का अनुमान घटाकर 7.8 फीसदी से 7.6 फीसदी कर दिया था। अब मौसम विभाग के नए अनुमान में मानसूनी बारिश के 12 फीसदी कमजोर रहने की बात कही गई है।

भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता के एक अर्थशास्त्री अभिरूप सरकार ने कहा, “बारिश कम होने से उपज घटेगी और कीमतें बढ़ेंगी। इसके कारण लोग भोज्य पदार्थो पर अधिक खर्च करेंगे। इसके कारण दूसरे मद पर खर्च कम होगा।” सरकार ने कहा, “यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पिछले साल भी बारिश कम रही थी।” वरिष्ठ अर्थशास्त्री दीपांकर दासगुप्ता ने कहा कि बिचौलियों की आय जहां बढ़ेगी, वहीं किसानों पर दबाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि आपूर्ति घटने के अंदेशे से जमाखोरी अभी से शुरू हो गई है।

गौरतलब है कि कृषि मंत्रालय के 2014-15 (जुलाई-जून) सत्र के अग्रिम अनुमान के मुताबिक अनाज उत्पादन साल-दर-साल आधार पर करीब 14 फीसदी कम 25.112 करोड़ टन रह सकता है, जो एक साल पहले रिकार्ड 26.504 करोड़ टन था। इसका एक कारण यह भी है कि इस साल के शुरू में बेमौसम बारिश ने रवि की फसलों को नुकसान पहुंचाया था। अब कमजोर मानसून का बुरा प्रभाव खरीफ फसलों पर पड़ने की आशंका है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने पहले कहा था, “स्पष्ट है कि कम उपज से निपटने के लिए आपात खाद्य प्रबंधन योजना जरूरी है, जिसमें शामिल है बीज और ऊर्वरक का पूरा भंडारण, फसल बीमा, अनाज भंडार को समय पर बाजार में लाना।” केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है, “बारिश कम होने से कृषि क्षेत्र में कुछ नुकसान तो होगा, लेकिन नुकसान को न्यूनतम रखने की योजना तैयार है।”

शेयर बाजारों में भारी गिरावट पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि भारत में उनकी रुचि घट गई है। अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और इसमें पहले से अधिक स्थिरता है।” सरकार हालांकि चावल और गेहूं की कीमत नियंत्रित रख सकती है, लेकिन दलहन, तिलहन, फल और सब्जियों पर उसका नियंत्रण कम है। इसके कारण महंगाई दर बढ़ सकती है। उल्लेखनीय यह भी है कि अर्थव्यवस्था 2008 के वित्तीय संकट से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। इन सबके बीच राहत देने वाली बात यह है कि निजी क्षेत्र की मौसम कंपनी स्काईमेट ने कहा है कि जून-सितंबर महीने में मानसूनी बारिश औसत का 102 फीसदी रह सकती है। आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने हालांकि यह भी कहा है, “मानसून के अनुमान से ही घबरा उठने की जरूरत नहीं है। उपज पर होने वाले प्रभाव को समझने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मानसूनी बारिश के वितरण पर भी गौर करने की जरूरत है।”

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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