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उप्र : झटके झेलने में सक्षम नहीं 2600 इमारतें
लखनऊ| नेपाल में आए भीषण जलजले ने पूरे भारत में भले ही लाखों लोगों को हिला कर रख दिया हो, लेकिन उत्तरप्रदेश की बदनाम नौकरशाही को कार्रवाई के लिए अभी भी झटके का इंतजार है। गुजरात में 2001 में आए भूकंप के बाद एक सर्वेक्षण में उप्र में 2,600 इमारतों की पहचान की गई थी जो भूकंप के झटके झेलने की दृष्टि से कमजोर और खतरनाक थीं।
कुछ अधिकारियों का दावा है कि वे इस दिशा में कार्रवाई शुरू करने वाले हैं। लेकिन पूर्व की भांति ज्यादातर लोग यही मान रहे हैं कि अधिकारियों की कार्रवाई कुछ दिनों और हफ्तों तक ही जारी रहेगी।
इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात में 2001 के भूकंप के बाद सरकार के सर्वेक्षण में 2,600 इमारतों की पहचान ऐसी इमारतों के रूप में हुई थी जो कि भूकंप के झटके झेलने की दृष्टि से कमजोर और खतरनाक थीं।
इन इमारतों को असुरक्षित प्रमाणित किया गया था और इन्हें या तो गिराने अथवा संरचनात्मक रूप से मजबूत बनाने की बात कही गई थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि चौदह साल बीत जाने के बाद भी इन घरों पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
इन 2,600 इमारतों में से सबसे अधिक 637 इमारतें ताजनगरी आगरा में चिन्हित की गई थीं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के समीप स्थित गाजियाबाद का स्थान दूसरे नंबर पर था, यहां पर 415 इमारतों की पहचान भूकंप के झटके न झेल पाने वाली इमारतों के रूप में की गई थी। इसके बाद मथुरा-वृंदावन में 230, मुरादाबाद में 197, फिरोजाबाद में 187, कानपुर में 175 और राज्य की राजधानी लखनऊ में इस प्रकार की 165 इमारतों की पहचान की गई थी।
इसके अतिरिक्त अलीगढ़ में 145, मेरठ में 121, झांसी में 113 और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 101 इमारतों की पहचान भूकंप की दृष्टि से कमजोर इमारतों के रूप में की गई थी।
शहरी विकास विभाग के अधिकारियों ने माना कि गुजरात भूकंप के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई की लेकिन अफसोस उसके बाद कुछ नहीं हुआ।
नेपाल में आए भूकंप से चिंतातुर होने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रमुख आवास सचिव सदाकांत ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इमारत निर्माण में मानदंडों का पालन हो।
उन्होंने मिट्टी परीक्षण के लिए भी कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नवनिर्मित भवन और निर्माणाधीन भवन भूकंप रोधी गुणवत्ता पर खरे उतरें।
एक अधिकारी ने कहा कि 500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में और 12 मीटर से लंबी बनने वाली इमारतों को नेशनल बिल्डिंग कोड का पालन करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
विशेषज्ञ हालांकि यह जानना चाहते हैं कि उन इमारतों का क्या होगा जो पहले ही बन चुकी हैं अथवा जिन्हें खतरनाक इमारत के रूप में चिन्हित किया गया है। लखनऊ में बड़ी संख्या में स्कूल, अस्पताल और शॉपिंग मॉल हैं जो सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हैं।
बर्लिग्टन स्क्वायर में बने एक मॉल के पास अनापत्ति प्रमाण-पत्र न होने की बात कही जा रही है लेकिन वह फिर भी खुल गया है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जो भी सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करेगा उन पर कार्रवाई की जाएगी।
एलडीए के अधिकारियों ने कहा कि 31 मार्च से पहले पूरा हुआ एक सर्वेक्षण लखनऊ में असुरक्षित इमारतों की संख्या के बारे में बताएगा।
नेपाल में आए भूकंप के झटकों का असर राजधानी के गोमतीनगर स्थित सिविल सर्विस इंस्टीट्यूट में भी देखने को मिला। यहां के एक पिलर में दरार आ गई है। इस इमारत में शीर्ष नौकरशाहों के 110 घर और फ्लैट हैं।
2005 में बनी इस इमारत ने अधिकारियों को कार्रवाई के लिए प्रेरित किया है।
नेशनल
जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।
जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।
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