Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

उप्र : घुट-घुट कर जीने पर मजबूर है ‘पराग’ डेयरी

Published

on

Loading

लखनऊ| उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी कोऑपरेटिव पराग डेयरी से जुड़ी एक अजीबोगरीब स्थिति सामने आई है। राज्य के लोग मिलावटी दूध पीने को मजबूर हैं और पराग यहां का दूध दिल्ली की मदर डेयरी को घाटे में बेच रही है। इसके चलते सूबे की सबसे पुरानी डेयरी वर्तमान में वेंटिलेटर पर है और लगभग तीन करोड़ रुपये के घाटे में चल रही है।पराग की इस भयंकर अनियमितता और लापरवाही का खुलासा बुधवार को उस समय हुआ, जब लखनऊ के जिलाधिकारी राजशेखर ने राजधानी स्थित डेयरी प्लांट का निरीक्षण किया और वहां की कार्य प्रणाली तथा वित्तीय क्रियाकलापों की गहन समीक्षा की। जिलाधिकारी के साथ मुख्य विकास अधिकारी योगेश कुमार, अपर नगर मजिस्ट्रेट, मुख्य खाद्य निरीक्षक और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी भी थे। जिलाधिकारी के निरीक्षण के बाद पता चला कि पराग डेयरी द्वारा आम ग्राहकों को दूध आपूर्ति में पिछले कई सालों से लगातार भयंकर कमी हो रही है। पहले पराग आम ग्राहकों को प्रतिदिन 1. 34 लाख लीटर दूध आपूर्ति करता था, जो 2011 में घटकर 1.22 लाख लीटर हो गया। इसके बाद स्थिति और गड़बड़ाने लगी और 2012 में प्रतिदिन की आपूर्ति 88 हजार लीटर, 2013 में 72 हजार लीटर और 2014 में 65 हजार लीटर तक आ पहुंची।

रोचक तथ्य तो यह है कि पराग डेयरी वर्तमान समय में रोजाना 1. 75 लाख लीटर दूध अपनी लगभग 750 समितियों से खरीदती है, लेकिन सूबे के आम ग्राहकों को वह केवल 65 हजार लीटर ही आपूर्ति करती है।निरीक्षण के दौरान पता चला कि बाकी दूध वह दिल्ली की मदर डेयरी को बेच देती है, वह भी 35 पैसे प्रति लीटर घाटे में। पराग डेयरी के लखनऊ यूनिट के महाप्रबंधक दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि बचे हुए दूध का आधा हिस्सा घी वगैरह बनाने में प्रयुक्त होता है और बाकी हिस्सा मदर डेयरी को बेच दिया जाता है।सिंह हालांकि अपने बचाव में कहते हैं कि वह अभी हाल में ही आए हैं। उन्होंने जिलाधिकारी को आश्वस्त किया है कि जल्द ही डेयरी को फायदे में लाया जाएगा। जिलाधिकारी ने भी स्थिति में सुधार के लिए नए महाप्रबंधक को तीन महीने का समय दिया है। पराग द्वारा आम ग्राहकों को दूध आपूर्ति में साल दर साल हो रही कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी ने डेयरी को अपना कामकाज तथा वित्तीय परफार्मेस सुधारने और ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए तीन महीने का समय दिया है। जिलाधिकारी ने कहा कि तीन माह बाद 15 अप्रैल को वह पुन: पराग डेयरी का निरीक्षण करंगे और उसके संपूर्ण कार्य प्रणाली की समीक्षा भी करेंगे। उन्होंने महाप्रबंधक को निर्देश दिए हैं कि इस दौरान आम आदमी तक पराग मिल्क की आपूर्ति बढ़ाई जाए और अच्छी मार्केटिंग रणनीति अपनाते हुए पराग के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की बिक्री बढ़ाई जाए।

राज शेखर ने पराग डेयरी द्वारा आम आदमी के बजाय दिल्ली की दूध कंपनी को बल्क में दूध बिक्री पर पराग प्रबंधन से कहा कि सरप्लस दूध को किसी कंपनी को घाटे में बेचने के बजाय बाजार की प्रतियोगिता के अनुसार, अन्य कंपनियों को फायदे में बेचने या आम आदमी को मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट के रूप में बेचने की रणनीति बनाई जाए। उन्होंने पराग प्रबंधन को आश्वस्त किया कि जिला प्रशासन पराग के छोटे वेंडिंग प्वाइंट, मिल्क किऑस्क की सुविधा पराग को दिलाने के लिए नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण से बात करेगा और हर संभव मदद करेगा। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी, अपर नगर आयुक्त और अपर जिलाधिकारी ट्रांस गोमती की एक समिति गठित करते हुए समिति को पराग के लिए विभिन्न अपार्टमेंस आदि में मिल्क आउटलेट, वेंडर प्वाइंट आदि के लिए विकास प्राधिकरण के जरिए जगह उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने इस मौके पर पराग की बिक्री बढ़ाने के संबंध में सुझाए गए उपायों के तहत कोटेदारों द्वारा पराग प्रोडक्ट की बिक्री कराने पर भी सहमति व्यक्त करते हुए इस संबंध में अपर जिलाधिकारी आपूर्ति को निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को पराग के अभिलेखों का ऑडिट कराने और उन कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया है, जिनकी वजह से पराग के दूध की सप्लाई आम ग्राहकों में घट रही है जबकि निजी कंपनियों की आपूर्ति बढ़ रही है। उल्लेखनीय है कि पराग की स्थापना आजादी से पहले वर्ष 1938 में हुई थी। इसकी सफलता से ही प्रेरित होकर वर्ष 1946 में गुजरात में आनंद डेयरी की स्थापना हुई, जो आज देशव्यापी हो गई है और प्रेरणा देने वाली पराग डेयरी खुद को ‘वेंटिलेटर’ पर पड़ी पा रही है।

प्रादेशिक

राजस्थान के दौसा में सड़क किनारे सो रहे 11 लोगों को बेकाबू कार ने कुचला, तीन की मौत, 8 घायल

Published

on

Loading

दौसा। राजस्थान के दौसा में बड़ा सड़क हादसा हुआ है। यहाँ एक बेकाबू कार ने सड़क किनारे सो रहे 11 लोगों को कुचल दिया। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है जबकि 8 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। मृतकों में एक बच्ची भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि हादसे में दो घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि छह को आगे के इलाज के लिए जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रेफर किया गया। कार को जब्त कर लिया गया है, हालांकि चालक फरार है। उसे पकड़ने की कोशिश की जा रही है।

हादसा गुरुवार की रात करीब 11.15 बजे हुआ है। सभी मृतक व घायल खानाबदोश परिवार के लोग थे, जो टीकाराम पालीवाल गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पास सड़क किनारे झुग्गी में रहते थे। हेड कॉन्स्टेबल बृजकिशोर ने बताया कि रात करीब 11.20 बजे घटना की सूचना पुलिस को मिली थी। फौरन पुलिस मौके पर पहुंची। जांच में सामने आया कि तेज रफ्तार कार के ड्राइवर ने तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए सड़क किनारे सो रहे लोगों को कुचल दिया है। घटना की सूचना पर गुरुवार की देर रात महवा विधायक राजेंद्र मीणा हॉस्पिटल पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों का हालचाल जाना और थाना इंचार्ज जितेंद्र सोलंकी को कार ड्राइवर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कहा।

जयपुर स्थित एसएमएस हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि दौसा के महवा से रेफर होकर 6 घायलों को यहां भर्ती किया गया था। इसमें से 1 दिलीप नाम के युवक को छुट्‌टी दे दी गई है। 5 अन्य को सर्जरी यूनिट में भर्ती रखा गया है। इसमें एक मरीज के सिर में थोड़ी ज्यादा चोट है, बाकी चार की स्थिति सामान्य है। इनका इलाज चल रहा है।

Continue Reading

Trending