अन्तर्राष्ट्रीय
ईरान पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए : जारिफ
मैड्रिड। स्पेन दौरे पर ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारिफ ने कहा कि उनके देश के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध उसी समय हटाए जाने चाहिए जब लौसाने समझौते के तहत तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को प्रमाणित किया जाएगा।
उन्होंने मंगलवार को कहा कि जिस तरह समझौते में उल्लेखित है, और जो कुछ भी अमेरिका में हुआ, चाहे वह संयुक्त राष्ट्र या यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाया गया आर्थिक या वित्तीय प्रतिबंध हो, उसे प्रथम चरण में हटाया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा, “अगर वे इसे बरकरार रखना चाहते हैं या प्रतिबंध को दबाव या नियंत्रण के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इसका मतलब लोगों में अच्छे समझौते को लागू करने के लिए जरूरी संयम नहीं रहेगा।”
जारिफ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा कांग्रेस में बहुमत वाली पार्टी रिपब्लिकन को समझौते पर सहमत करने की कोशिश कर रहे हैं। इस समझौते में ईरान के परमाणु कार्यक्रम की निगरानी करने वाले तकनीकी ब्यौरे को शामिल नहीं किया गया है। जारिफ ने कहा कि इन मुद्दों पर बातचीत की शुरुआत यूरोप, चीन, रूस और अमेरिका के राजनीतिक निदेशकों के साथ 21 अप्रैल से होगी। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि कोई भी इस समझौते का उल्लंघन नहीं करना चाहता। जारिफ ने स्पेन के विदेश मंत्री जोश मैनुअल गार्सिया-मार्गैलो से मुलाकात की, जिन्होंन खुद प्रतिबंध हटाने के इच्छुक नजर आए।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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