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अन्तर्राष्ट्रीय

इबोला प्रभावित लाइबेरिया की सीमाएं खुलेंगी

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लंदन| देश में इबोला के नए मामलों में कमी आने के बाद लाइबेरिया अपनी सीमाएं फिर से खोलने की योजना बना रहा है। बीबीसी द्वारा शनिवार को जारी रपट के अनुसार, राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ ने शुक्रवार को यह घोषणा की और राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू हटाए जाने की बात भी कही।

देश में इबोला के नए मामलों मे कमी आई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से इबोला अधिकारी ब्रुस एलवार्ड ने बताया कि आंकड़े दर्शाते हैं कि संक्रमण में कमी आई है। नए मामलों की दर सप्ताह में 120 से 150 के आसपास है।

पिछले साल फैली इबोला बीमारी से 9,300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

लाइबेरिया, गिनी और सिएरा लियोन अगले दो महीनों में शून्य इबोला संक्रमण का लक्ष्य हासिल करने को प्रतिबद्ध हैं।

लाइबेरिया इबोला से सर्वाधिक प्रभावित देश था, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हो रहा है।

राष्ट्रपति जॉनसन सरलीफ ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा है कि रविवार को सीमाएं फिर से खुल जाने के बाद स्वास्थ्य प्रोटोकॉल वायरस को देश से बाहर जाने से रोकेगा।

देश में आपातकाल लागू होने के कारण लाइबेरिया की सीमाएं पिछले साल बंद कर दी गईं थीं।

हाल के सप्ताहों में लाइबेरिया के स्कूल भी खुल गए हैं और देश का माहौल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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