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आर्थिक सर्वेक्षण में कर कटौती, त्वरित पुनर्मुद्रीकरण की वकालत
नई दिल्ली। अगले वित्त वर्ष के लिए आम बजट प्रस्तुत करने से एक दिन पूर्व मंगलवार को सरकार ने अपने नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण में कर दरों और स्टांप शुल्क में कटौती, यथाशीघ्र वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने, अतिउत्साही कर प्रशासन पर लगाम लगाने और त्वरित पुनर्मुद्रीकरण पर जोर दिया है।
सर्वेक्षण में गरीबी हटाने के लिए चलाई जा रहीं समाज कल्याण की विभिन्न योजनाओं की जगह पर एक सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) योजना चलाने की वकालत की गई है। हालांकि नीति आयोग ने पहले ही कहा है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए देश के पास जरूरी वित्तीय संसाधन नहीं है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सर्वेक्षण को सदन में पेश किया और कहा कि नोटबंदी के बाद उठाए गए कदमों से इसका नकारात्मक असर कम हुआ है और इसका लाभ बढ़ेगा। उन्होंने कहा, “नोटबंदी की अल्पअवधि में हमें कीमत चुकानी पड़ी है, लेकिन लंबी अवधि में यह काफी फायदेमंद साबित होगी।”
सर्वेक्षण में कहा गया है कि गरीबों की प्रभावी तरीके से मदद के लिए जरूरी है कि उन्हें सीधी वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाए, जो यूबीआई के माध्यम से दी जाए।
यूबीआई योजना इससे पहले किसी भी देश में लागू नहीं की गई है। सुब्रह्मण्यम ने इसके बारे में पहले कहा है कि इसके तहत सरकार द्वारा गरीबी हटाने के लिए चलाई जा रही 1000 से ज्यादा योजनाओं को बंद कर सभी नागरिकों को बिना शर्त 10,000 रुपये से 15,000 रुपये नकदी दी जा सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यूबीआई के सफल बनाने के लिए दो और चीजें आवश्यक हैं। एक तो प्रभावी जेएएम (जन धन, आधार और मोबाइल) प्रणाली, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नकदी का हस्तांतरण सीधे लाभार्थी के खाते में हो और दूसरा इस कार्यक्रम की लागत साझा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार में सहमति।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढय़िा ने हाल के एक साक्षात्कार में कहा है कि भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए यूबीआई लागू करने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन का अभाव है।
पनगढय़िा ने इस महीने की शुरुआत में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “आय का वर्तमान स्तर और स्वास्थ्य, शिक्षा, अवसंरचना और रक्षा क्षेत्र में निवेश की हमारी जरूरत को देखते हुए हमारे पास 130 करोड़ भारतीय लोगों को उचित बुनियादी आय मुहैया कराने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन नहीं हैं।”
शहरी गरीबी रेखा पर तेंदुलकर समिति ने 2011-12 की कीमतों के आधार पर इसे प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये प्रति माह रखी है। इससे कम आय वालों को गरीबी रेखा से नीचे रखा गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही में विदेशी पूंजी प्रवाह में 30.72 फीसदी की वृद्धि हुई है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, “अप्रैल-सितंबर 2016-17 के दौरान 21.7 अरब डॉलर एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) निवेश प्राप्त हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में यह 16.6 अरब डॉलर था। इसमें 30.7 फीसदी की वृद्धि हुई है।”
सर्वेक्षण के अनुसार, “जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा एफडीआई प्राप्त हुआ, उनमें सेवा, निर्माण, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर और दूरसंचार प्रमुख रहे।”
हालांकि सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसमें सबसे अधिक तेजी सितंबर 2016 में देखी गई। उसके बाद इसमें कमी आने लगी, खासतौर से उभरते बाजारों की तरफ इसका प्रवाह होने लगा।
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि 2008 की मंदी के बाद शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) में पहली बार नकारात्मक दर देखी गई है और समीक्षाधीन अवधि में भारतीय बाजार से कुल 23,079 करोड़ रुपये निकाल कर अन्य उभरते बाजारों में ले जाए गए।
सर्वेक्षण के मुताबिक, केंद्र सरकार ने रक्षा, रेलवे अवसंरचना, निर्माण और फार्मास्यूटिक क्षेत्र में एफडीआई नीति को सरल और उदार बनाया है और देश में निवेश को बढ़ावा देने और व्यापार में आसानी के लिए कई कदम उठाए हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है, “निवेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों में मेक इन इंडिया, इनवेस्ट इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और राष्ट्रीय ई-गवर्नेस योजना के तहत ई-बिज मिशन प्रमुख हैं।”
जेटली ने सदन में कहा कि चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की रफ्तार अच्छी है और यह 4.1 फीसदी रहेगी। वहीं, औद्योगिक उत्पादन घटकर 5.2 फीसदी और सेवा क्षेत्र की रफ्तार 8.8 फीसदी रहेगी।
सर्वेक्षण में पिछले साल नवंबर में लागू की गई नोटबंदी के बारे में कहा गया है, “जैसे जैसे नई मुद्रा प्रचलन में बढ़ती जाएगी और नोटबंदी के बाद सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और नई मुद्रा का प्रचलन बढऩे के बाद वित्त वर्ष 2017-18 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार सामान्य हो जाएगी।”
सर्वेक्षण में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.75 से 7.5 फीसदी रहेगी।”
इस दौरान नोटबंदी के बाद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की विकास दर का अग्रिम अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है।
विश्व बैंक ने भी देश की जीडीपी की रफ्तार का अनुमान 7.6 फीसदी से घटाकर सात फीसदी कर दिया है।
नोटबंदी के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी अपने अग्रिम अनुमान में देश की विकास दर 7.6 फीसदी से कम कर 7.1 फीसदी कर दिया है।
आर्थिक सर्वेक्षण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग मंडल फिक्की ने कहा है वह सरकार की तीन ‘प्रमुख चुनौतियों’ से सहमत है, जिसमें अक्षम पुनर्वितरण, निजी क्षेत्र और संपत्ति के अधिकार को लेकर मिश्रित राय और राज्य की क्षमता बढऩे के बावजूद चुनौतीपूर्ण बने रहना।
फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने एक बयान में कहा, “चालू वित्त वर्ष के लिए सात फीसदी आधार अंक में चौथाई अंकों की कटौती का मुख्य कारण नोटबंदी का असर है।”
एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, “नोटंबदी के पहले आधिकारिक आकलन आर्थिक सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था के कृषि और अनौपचारिक क्षेत्रों पर नोटबंदी से अधिक प्रभावित होना बताया गया है, जो बिल्कुल सही आकलन है। अगर पुनर्मुद्रीकरण की प्रक्रिया तेजी से होती है तो इन क्षेत्रों में सुधार होगा।”
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “भारतीय उद्योग परिसंघ को उम्मीद है कि कल पेश होने वाले बजट में मांग पैदा करने, विशेष रूप से व्यक्तिगत आयकर और कॉपोर्रेट कर में राहत देने जैसे उपाय किए जाएंगे।”
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रायबरेली में होगी अमेठी से भी बड़ी हार, बीजेपी का राहुल गांधी पर निशाना
लखनऊ। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार कौन होगा? इसपर सस्पेंस खत्म कर दिया है। पार्टी ने शुक्रवार को नामांकन के आखिरी दिन नई लिस्ट जारी कर इन दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने अमेठी से केएल शर्मा को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस की पारंपरिक सीट रायबरेली से खुद राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद भाजपा ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर निशाना साधा है।
उपमुख्मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘राहुल गांधी और गांधी परिवार में अमेठी-रायबरेली से चुनाव लड़ने का साहस नहीं हो रहा है, लेकिन किसी ने उन्हें (राहुल गांधी) समझाया होगा कि पिछली बार सोनिया गांधी इतने मतों से जीत गई थीं इसलिए आप अमेठी न जाकर रायबरेली चलिए। रायबरेली में राहुल गांधी की अमेठी से भी बड़ी पराजय होने जा रही है। हम ये दोनों सीटें तो बहुत बड़ें नंबर से जीतेंगे ही साथ ही उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटें भी जीतेंगे’
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी पहले अमेठी छोड़कर वायनाड भाग गए थे, अब वायनाड छोड़कर रायबरेली आ गए हैं, रायबरेली के लोग उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी को लेकर जिस तरह का माहौल बना है, वही कारण है कि कांग्रेस पहले तो तय नहीं कर पा रही थी कि क्या करना चाहिए। पिछली बार राहुल गांधी अमेठी से हार कर केरल की तरफ भागे थे। अब वायनाड से हार की आशंका देखते हुए रायबरेली आ गए। उत्तर प्रदेश का माहौल मोदीमय हो चुका है। हम पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ने जा रहे हैं… रायबरेली की जनता भी उनका(राहुल गांधी) इंतजार कर रही है कि कांग्रेस ने पीएम मोदी के बारे में जो भी हल्की बातें कही हैं उसका हिसाब उन्हें देना पड़ेगा।’
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