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आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, कर्जमाफी की आलोचना

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मुंबई। देश के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ऋण दर यानी रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है और कर्जमाफी के वादे को ‘व्यावहारिक जोखिम’ बताते हुए इसकी आलोचना की। वित्तवर्ष 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआई ने रेपो रेट या वाणिज्यिक बैंकों को दिए गए कर्ज पर अल्पकालिक ऋण दरों को यथावत रखा और कहा कि आंकड़ों में कोई बदलाव करने का फैसला करने से पहले वह व्यापक आर्थिक आंकड़ों के आने का इंतजार कर रहा है।

बैंक की मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने कर्जमाफी के वादों से बचने पर जोर दिया और कर्जमाफी को व्यावहारिक जोखिम करार दिया, जो अन्य लोगों के ऋण दर में बढ़ोतरी का कारण बन सकता है। एमपीसी ने पॉलिसी रेट कॉरिडोर को 25 आधार अंक कम करने का फैसला किया। कॉरिडोर रेपो रेट तथा रिवर्स रेपो रेट के बीच का अंतर है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट में लगातार तीसरी बार कोई बदलाव नहीं किया है। एमपीसी ने ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की है। हालांकि, रिवर्स रेपो दर को बढ़ाकर छह फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने बयान जारी कर कहा, “एलएएफ (लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी) के तहत रिवर्स रेपो दर 6.0 फीसदी है जबकि एमएसएफ (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी) दर और बैंक दर 6.50 फीसदी है।”

आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को चार फीसदी पर बनाए रखा है। आरबीआई बयान के मुताबिक, “मौजूदा समय में महंगाई ग्राफ के आसपास जोखिम संतुलित हैं। महंगाई से जुड़े घटनाक्रमों पर करीब से और सतत नजर रखी जानी चाहिए।” बयान के मुताबिक, “उत्पादन और मांग के बीच अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है। नतीजतन, मांग का दबाव बन सकता है।”

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में समिति के सभी छह सदस्यों ने मौद्रिक नीतिगत फैसलों के पक्ष में वोट किया। बैठक के मिनट्स 20 अप्रैल को जारी होंगे। एमपीसी की अगली बैठक पांच जून और छह जून 2017 को होगी। आरबीआई ने आठ फरवरी की मौद्रिक समीक्षा बैठक में भी ऋण दरों को 6.25 फीसदी को यथावत रखा था। महंगाई बढऩे की वजह से आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने की उम्मीदें थीं। महंगाई दर फरवरी में तीन साल के उच्चतम स्तर 6.55 फीसदी रही है जबकि खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी रही थी।

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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