बिजनेस
आरबीआई नीति, आर्थिक आंकड़ों से तय होगी बाजार की चाल
मुंबई। आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की मौद्रिक समीक्षा, वैश्विक बाजारों की हलचल, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) व घरेलू संस्थागत निवेशकों, डॉलर के खिलाफ रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों की प्रवृत्ति ही आने वाले हफ्ते में बाजार की चाल तय करेगी। आरबीआई मार्च, 2017 में खत्म हो रहे वित्त वर्ष के लिए चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति का 4 अक्टूबर को खुलासा करेगी। आरबीआई ने 9 अगस्त को की गई अपनी तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था और यह 6.5 फीसदी पर है। इसके परिणामस्वरूप रिवर्स रेपो रेट भी 6 फीसदी पर बना हुआ है। आरबीआई ने नकद आरक्षी अनुपात को भी 4 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है।
वहीं, नवगठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 4 अक्टूबर को पहली बार सिफारिश देगी। इसके लिए समिति की तीन और चार अक्टूबर को बैठक होने वाली है। आरबीआई ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर बताया, मौद्रिक नीति समिति तीन और चार अक्टूबर को बैठक कर आगामी मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगी। एमपीसी का प्रस्ताव चार अक्टूबर को दोपहर 2.30 बजे वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को मौद्रिक नीति गठन को अधिसूचित किया। इस समिति में देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों के तीन विद्वानों को सरकार ने समिति के सदस्य के रूप में नामित किया। समिति को सरकार की तरफ से आधिकारिक रूप से कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो फीसदी कम या ज्यादा) तक काबू में रखना है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति द्वारा जिन नामों को मंजूरी दी गई, उनमें भारतीय सांख्यिकी संस्थान के प्रोफेसर चेतन घाटे, दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स के निदेशक पामी दुआ और भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के प्रोफेसर रविंद्र ढोलकिया शामिल हैं। मौद्रिक नीति समिति का गठन केंद्र सरकार ने किया है, जिसका कार्यकाल चार सालों का होगा। छह सदस्यीय समिति में आरबीआई के तीन प्रतिनिधि हैं, जिसमें आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल समिति की अध्यक्षता करेंगे। साथ ही डिप्टी गर्वनर आर. गांधी और कार्यकारी निदेशक मिशेल पात्रा शामिल हैं।
निवेशकों की नजर मानसून की चाल पर टिकी हुई है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 29 सितंबर को जारी अपने साप्ताहिक अनुमान में कहा है कि देश में कुल मिलाकर इस साल एक जून से 28 सितंबर के बीच मानसूनी बारिश दीर्घकालिक औसत से 3 फीसदी कम हुई है।
इस सप्ताह वाहन कंपनियों के शेयरों पर भी नजर रहेगी, क्योंकि कंपनियां शनिवार को अपनी मासिक बिक्री के आंकड़ों का खुलासा करेंगी। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां इस महीने के अंत में ईधन कीमतों की समीक्षा करेंगी। तेल कंपनियां अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर महीने में दो बार समीक्षा करती है। इनमें जेट फ्यूल की कीमतें सीधे तौर पर कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी है। इस सप्ताह वाहनों के पुर्जे का उत्पादन करनेवाली कंपनी एंड्यूरेंस टेक्नॉलजीज का आईपीओ आनेवाला है। यह आईपीओ 5 अक्टूबर को खुलेगा और 7 अक्टूबर को बंद होगा। इसकी कीमत प्रति 467 से 472 के प्राइस रेंज में रखी गई है।
व्यापक आर्थिक आकंड़ों में सोमवार को सितंबर माह के उत्पादन क्षेत्र के पीएमआई आंकड़े आएंगे। अगस्त में भारत का पीएमआई 52.6 पर था तो जुलाई में यह 51.8 पर था।
बिजनेस
Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो
नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।
व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।
तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।
व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।
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