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आधार संवैधानिक परीक्षा पर खड़ा उतरेगा : जेटली
नई दिल्ली, 13 सितम्बर (आईएएनएस)| वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आधार संवैधानिक परीक्षा पर खड़ा उतरेगा।
उच्चतम न्यायालय में आधार की वैधानिकता को लेकर मामला लंबित है। संयुक्त राष्ट्र भारत की ओर से आयोजित वित्तीय समावेशन सम्मेलन में यहां जेटली ने कहा, आधार के संबंध में कानून पारित कर दिया गया है और मैं आश्वस्त हूं कि यह संवैधानिक आधार पर भी खड़ा उतरेगा। उच्चतम न्यायालय ने निजता के अधिकार को महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकार बताते हुए कहा है कि यह प्रश्न अभी उठा है। निजता का हनन कानून द्वारा लागू किया जा सकता है लेकिन इसके लिए कोई उपयुक्त कारण होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि निजता के अधिकार की भी राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामाजिक योजनाओं के विस्तार की तरह अपनी सीमाएं हैं और आधार का प्रयोग सामाजिक योजनाओं के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आधार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर और सामाजिक योजनाओं के विस्तार के लिए जरूरी है।
वित्त मंत्री ने कहा, यह एक वाजिब कारण है जिससे आधार का प्रयोग किया जाना चाहिए और जहां करोड़ों आधार नंबर, करोड़ों लोगों के बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जुड़े हों, वहां इसकी महत्ता अपने आप बढ़ जाती है।
जेटली ने कहा कि एकबार जब आधार के जरिये पहचान नेटवर्क का विस्तार हो जाएगा तब इसका प्रयोग विभिन्न परियोजनओं को समाज के उस धड़े तक पहुंचाने के लिए किया जाएगा, जिसके लिए यह बनाया गया है।
उन्होंने कहा, बिना लक्ष्य के सब्सिडी वितरण से संसाधन की बर्बादी होती है क्योंकि राज्य के पास संसाधन सीमित मात्रा में हैं।
उन्होंने कहा, इस संबंध में कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो उठ रहे हैं और इसलिए डाटा की गोपनीयता एवं डाटा के संबंध में कुछ ठोस उपाय करना भी उतना ही जरूरी है।
पैन कार्ड को आधार से जोड़ने को अनिवार्य बनाने के सरकार की पहल के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में यह मामला लंबित है जिसमें सरकार को यह भी साबित करना है कि यह निजता के मूल अधिकार का हनन नहीं करता है।
अदालत में नौ सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सरकार को यह साबित करना है कि आधार का प्रयोग सामाजिक लाभों के प्रसार के लिए के लिए जरूरी है।
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इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल
इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्यता लेंगे।
इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”
इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।
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