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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ के ऐतिहासिक समझौते का स्वागत किया

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वाशिंगटन| अमेरिका ने, खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर भारत के साथ महीनों से जारी गतिरोध के बाद नई दिल्ली की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए ऐतिहासिक बहुपक्षीय समझौते पर पहुंचने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का स्वागत किया है।

जेनेवा में गुरुवार को डब्ल्यूटीओ के 160 सदस्यों ने व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) को मंजूरी दे दी, जिसका लक्ष्य अनुमानित 10 खरब डॉलर वार्षिक बचत के लिए सीमा शुल्क प्रक्रिया को सरल बनाना है।

डब्ल्यूटीओ के 20 साल के इतिहास के इस प्रथम बहुपक्षीय व्यापार समझौते टीएफए को बाली समझौते के नाम से भी जाना जाता है। इस समझौते ने इस महीने के प्रारंभ में अमेरिका और भारत के बीच नई दिल्ली के खाद्य भंडारण कार्यक्रम को लेकर एक ‘शांति व्यवस्था’ पर बनी सहमति के रास्ते के एक बड़े रोड़े को साफ कर दिया है।

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि माइकल फ्रोमैन ने एक बयान में कहा, “डब्ल्यूटीओ ने जुलाई से पैदा हुए गतिरोध को दूर कर एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। मैं इस बात से खुश हूं कि अमेरिका एक ऐसा दृष्टिकोण बनाने के लिए भारत और डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्यों के साथ अब काम कर पाएगा, जो पिछले साल बाली मंत्रीस्तरीय सम्मेलन में लिए गए निर्णयों की भावना के अनुरूप होगा।”

फ्रोमैन ने कहा कि अमेरिका ने हाल ही में गतिरोध दूर करने के लिए भारत के साथ काम किया था। यह गतिरोध एक जुलाई को उस समय पैदा हुआ था, जब डब्ल्यूटीओ के सदस्यों के एक छोटे समूह ने टीएफए के लिए नियमों में संशोधन को मंजूर नहीं होने दिया था।

फ्रोमैन ने कहा कि डब्ल्यूटीओ महापरिषद ने गुरुवार को उन निर्णयों को मंजूरी दे दी, जो अमेरिका और भारत के बीच स्वीकृत दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं।

उन्होंने कहा कि इसमें खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण पर एक निर्णय शामिल है, जिसमें यह स्पष्ट है कि एक ‘शांति प्रावधान’ तबतक जारी रहेगा जबतक कि इस तरह के कार्यक्रमों का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल जाता और उसे मंजूरी नहीं मिल जाती। यह शांति प्रावधान कुछ निश्चित सार्वजनिक भंडारण कार्यक्रमों को कानूनी चुनौती दिए जाने से बचाएगा।

फ्रोमैन ने कहा कि टीएफए में वैश्विक सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में मौलिक सुधार करने और वस्तुओं के सीमा पार जाने में लगने वाले समय और आने वाली लागत को घटाने की संभावना मौजूद है।”

उन्होंने कहा कि यह इस बात का सटीक उदाहरण है कि व्यापार के अवरोधों को समाप्त करने से विकसित और विकासशील देशों के लिए किस तरह और कितने नए अवसर खुल सकते हैं, और यह सभी देशों के खासतौर से छोटे कारोबारों की महत्वपूर्ण जीत है।

अन्तर्राष्ट्रीय

जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत

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नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।

इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।

डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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