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अन्तर्राष्ट्रीय

अबूझमाड़ की प्रसव पद्धति अपना रहा अमेरिका

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रायपुर। बस्तर के अंदरूनी इलाके में करीब 4000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला अबूझमाड़ आज भी कई मायनों में आधुनिक दुनिया से कटा हुआ है और कई लोगों को यहां प्रचलित परंपराएं आदिमकालीन एवं अटपटी लग सकती हैं, लेकिन यहां की जनजातीय महिलाएं जिस पारंपरिक प्रसव पद्धति से बच्चे को जन्म देती हैं उसे अब अमेरिका में भी अपनाया जा रहा है।

अबूझमाड़ में सदियों से महिलाएं बैठे-बैठे ही बच्चे प्रसव करती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं से वर्षो से वंचित अबूझमाड़ की प्रसव की देशी पद्धति अब अमरीका जैसे विकसित देश भी अपना रहे हैं।

अमरीका में इस तरह प्रसव कराने के लिए एक करोड़ रुपये की लागत से विशेष कुर्सीनूमा उपकरण विकसित किया गया है।

छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ आज भी शेष दुनिया के लिए अजूबा बना हुआ है। राजस्व ग्राम के रुप में दर्ज नहीं होने के कारण अबूझमाड़ में कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है और मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं तक का पर्याप्त इंतजाम नहीं है।

अबूझमाड़ में जब गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होती है तो उसे लकड़ी के झूलेनुमा पाटे में बिठा दिया जाता है। महिला झूलेनुमा पाटे की दोनों ओर बंधी रस्सी को हाथों से पकड़कर बैठ जाती है और उसी पाटे में बैठे-बैठे बच्चे को जन्म देती है।

जानकारों का कहना है कि अबूझमाड़ में प्रसूति के लिए घर से बाहर एक झोपड़ी तैयार की जाती है, जिसमें गर्भवती महिला के लिए खाने-पीने का सामान, झूलेनुमा पाटे की व्यवस्था रहती है। इस विशेष झोपड़ी को गोण्डी भाषा में ‘कुरमा’ कहा जाता है।

प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की मानें तो बैठकर प्रसव में आसानी होती है, क्योंकि इससे पेट पर दबाव बनता है। इस तरह की पद्धति से अब विकसित देशों में भी प्रसव करवाने की शुरुआत होने लगी है और इसे वैज्ञानिक पद्धति माना जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, बैठकर प्रसव कराने से बच्चे को बाहर निकालने के लिए सही कोण मिलता है और बच्चा मां की कोख से आसानी से बाहर आ जाता है।

ज्ञात रहे कि अबूझमाड़ में कुल 237 राजस्व गांवों का कुछ वर्ष पहले हवाई सर्वेक्षण हुआ था, लेकिन सच्चाई यह है कि अंतिम राजस्व सर्वे शायद शहंशाह अकबर के जमाने में हुआ था।

अन्तर्राष्ट्रीय

जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत

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नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।

इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।

डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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