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पन्नीरसेल्वम गुट ने की शशिकला के ‘पर कतरने’ की मांग

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नई दिल्ली। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (एआईएडीएमके) के पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाले धड़े ने शुक्रवार को निर्वाचन आयोग से मांग की कि वी.के.शशिकला की पार्टी महासचिव पद पर नियुक्ति को अवैध घोषित किया जाए तथा कोषाध्यक्ष डिंडूगल श्रीनिवासन द्वारा बैंकों में जमा पार्टी कोष से पैसे निकालने पर रोक लगा दी जाए।

मुख्यमंत्री पलनीस्वामी के नेतृत्व वाले गुट से विलय की बाचतीत को खारिज करते हुए पन्नीरसेल्वम ने कहा कि जब तक शशिकला तथा उनके परिवार के सदस्यों को पार्टी से औपचारिक तौर पर निष्कासित नहीं किया जाता, पार्टी के दोनों धड़ों के विलय पर बातचीत संभव नहीं है।

पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात की तथा पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘दो पत्ती’ पर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए अयोग को और दस्तावेज सौंपे।

प्रतिनिधिमंडल ने जयललिता के निधन के बाद शशिकला को पार्टी का महासचिव बनाए जाने को ‘अवैध’ घोषित करने को लेकर आयोग को 170 पन्नों का एक ज्ञापन सौंपा। उसने निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर एआईएडीएमके के महासचिव पद पर किसी भी व्यक्ति के नाम के न होने का हवाला देते हुए कहा कि इस नियुक्ति को (शशिकला की) अवैध घोषित किया जाना चाहिए।

पन्नीरसेल्वम ने कहा कि निर्वाचन आयोग को जल्द ही इस पर फैसला लेना चाहिए, क्योंकि अयोग की वेबसाइट पर महासचिव के रूप में अभी भी किसी के नाम का उल्लेख नहीं है, क्योंकि उसने शशिकला की नियुक्ति को स्वीकार नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि आयोग को पार्टी कोषाध्यक्ष डिंडूगल श्रीनिवास की शक्तियों में हस्तक्षेप करना चाहिए और उसे छीन लेना चाहिए, जिन्होंने पार्टी कोष से करोड़ों रुपये की निकासी की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि शशिकला द्वारा उन्हें कोषाध्यक्ष पद पर नियुक्ति भी अवैध है।

पन्नीरसेल्वम ने कहा कि पार्टी के संविधान के हिसाब से जयललिता के निधन के बाद पार्टी के संचालन की मंजूरी उन्हें मिलनी चाहिए, क्योंकि जब भी असामान्य परिस्थितियां आईं, जयललिता मानक प्रकिया अपनाती थीं।

असामान्य मौकों पर पार्टी के संचालन के लिए जयललिता प्रेसीडियम चेयरमैन तथा कोषाध्यक्ष नामित करती थीं और इस तरह से पार्टी के संचालन की मंजूरी उन्हें मिलनी चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे गुट ने दिवंगत एमजीआर तथा जयललिता के इस सिद्धांत को बरकरार रखने के लिए धर्मयुद्ध शुरू किया है कि पार्टी की कमान किसी परिवार के हाथ में नहीं होनी चाहिए, कम से कम शशिकला तथा टीटीवी दिनाकरन के हाथों में तो बिल्कुल नहीं। यहां तक कि पार्टी का आधिकारिक मुखपत्र ‘नामाधु एमजीआर’ उप महासचिव टीटीवी दिनाकरन के नाम से बयान जारी कर रहा है।”

पन्नीरसेल्वम ने कहा, “ऐसी परिस्थितियों में हम उनके (पलनीस्वामी के नेतृत्व वाले धड़े) साथ बाचतीत करने का फैसला कैसे कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “पार्टी में अभी भी बेनामी शक्तियों का राज है। उन्होंने (मुख्यमंत्री) अभी भी शशिकला तथा दिनाकरन को पार्टी से निष्कासित नहीं किया है। केवल मध्यम कद के नेता ऐसा बोल रहे हैं। हमारी दो मांगें हैं, जयललिता के मौत की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराई जाए तथा शशिकला व दिनाकरन को पार्टी से बाहर निकाला जाए। एक बार जब यह हो जाएगा, तो विलय के लिए बातचीत की राह आसान हो जाएगी।”

विलय वार्ता में रोड़ा कौन बन रहा है? इसके जवाब में पन्नीरसेल्वम ने कहा, “मीडिया पूरे मुद्दे को तथा विलय की प्रक्रिया ‘धीमी’ क्यों है, इसे अच्छी तरह समझता है। हमने फैसला किया है कि हम एमजीआर तथा जयललिता के सिद्धांतों पर डटे रहेंगे और पार्टी पर किसी परिवार को शासन नहीं करने देंगे।”

उन्होंने कहा कि जिस दिन मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट ने घोषणा कर दी कि उसने शशिकला तथा दिनाकरन को बाहर निकाल दिया है, उसी दिन विलय पर आराम से बातचीत होगी।

एक अन्य सवाल के जवाब में कि प्रतिद्वंद्वी गुट को चलाने में किसका हाथ है? पूर्व मंत्री तथा पन्नीरसेल्वम गुट के नेता के. मुनुस्वामी ने कहा कि फिलहाल तो पार्टी को शशिकला के एक अन्य रिश्तेदार दिवाकर चला रहे हैं।

समूह जुलाई महीने में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में किस पार्टी या उम्मीदवार का समर्थन करेगा, इस बारे में भी अपने पत्ते नहीं खोले।

इस बारे में पूछे जाने पर कि राष्ट्रपति चुनाव में उनके गुट की क्या रणनीति होगी? पन्नीरसेल्वम ने कहा कि अभी न तो चुनाव की घोषणा हुई है और न ही किसी उम्मीदवार के बारे में किसी पार्टी ने कोई घोषणा की है। एक बार जब यह हो जाता है, तो पार्टी नेतृत्व बैठक करेगा और इस बारे में फैसला लेगा।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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