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प्रादेशिक

हवा को पानी बनाता है ‘आकाश अमृत’

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हवा को पानी बनाता है 'आकाश अमृत'रायपुर । ‘आकाश अमृत’ एक ऐसी अनोखी मशीन है जो हवा की नमी को सोखकर पानी में बदल देती है। पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ पानी की समस्या के समाधान की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण कदम है। मैट्सोत्सव-2017 में इंवेंटिवग्रीन कंपनी द्वारा निर्मित ‘आकाश अमृत’ मशीन आकर्षण का केंद्र रही। इंवेंटिवग्रीन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुभव कक्कड़ ने बताया कि आकाश अमृत मशीन किसी भी क्षेत्र में विशेष रूप से तात्कालिक पीने के पानी का समाधान करती है, जहां पीने के पानी की मुश्किल हो या पानी का कोई स्रोत ही न हो, वहां के लिए यह अभिनव तकनीक है। मशीन को एक विशेष रूप से डिजाइन किया गया है, जहां सतह पर जलवाष्प निकासी अधिक हो। इसमें कंडेनसेशन की तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

उन्होंने कहा कि यह मशीन वायुमंडलीय जलवाष्प की प्राकृतिक प्रक्रिया का उपयोग कर पीने योग्य स्वच्छ पानी का निर्माण करती है। पानी का निर्माण उसकी मात्रा, तापमान और उसके सापेक्ष आद्र्रता के मौजूदा परिवेश की स्थिति पर निर्भर करता है। इस मशीन का उपयोग और इसका रखरखाव आसान है।

उन्होंने बताया कि मौजूदा जल संसाधन और पानी के त्वरित उत्पादन पर निर्भरता से यह प्रौद्योगिकी दुनिया भर के कई क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की जरूरतों को पूरा करने में प्रभावी है। इस मशीन को शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों, होटल, शॉपिंग मॉल और मनोरंजन क्षेत्र, वाणिज्यिक और आवासीय प्रतिष्ठानों, गांवों, शहर के नगर पालिका, स्टेडियम और कन्वेंशन केंद्र, परिवहन केंद्रों, सैन्य और आपदा प्रबंधन के वक्त, समुद्री जहाजों पर लगाकर पानी निर्माण किया जा सकता है। यही इस मशीन के फायदे भी हैं- जहां पानी नहीं है वहां मशीन कारगर है, तात्कालिक समाधान, शुद्ध पेयजल, कम रखरखाव, काम में आसानी, पर्यावरण के अनुकूल, वैकल्पिक ऊर्जा-शक्ति संसाधनों पर चलती है।

अनुभव कक्कड़ बताया कि पानी का संचयन हवा से किया जाता है यह पानी की कमी पूरी करने का आदर्श समाधान है। खराब पानी से गंभीर बीमारियां होती हैं। लोग पीने के पानी के लिए वर्तमान स्रोत पर समय और निर्भरता की अविश्वसनीयता से थक गए हैं। वर्तमान में लोग नगर पालिका, टैंकर पानी, बोतलबंद पानी से पीने का पानी प्राप्त करते हैं, लेकिन जिन क्षेत्रों में पानी का अभाव है वहां के लिए यह मशीन अति आवश्यक हो जाती है।

उन्होंने कहा कि बोतलबंद पानी की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एकमात्र समाधान है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान होने पर भी महंगा हो रहा है। जलस्रोतों में बदलाव आ रहा है। बोरवेल, भूमिगत जलभंडार में तेजी से कमी आ रही है। जनता बोतलबंद पानी को स्वच्छ बोलकर उपयोग करती है, लेकिन उसी प्लास्टिक की बोतल से पयार्वारण को कितना नुकसान हो रहा है। वहीं टैंकर के जल के लिए ईंधन की खपत भी लग रही है।

कक्कड़ ने बताया कि इसकी क्षमता 1 हजार लीटर प्रतिदिन के हिसाब से पानी का निर्माण करने की है।

इसके लिए 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 75 प्रतिशत इसके सापेक्ष आद्र्रता की जरूरत होती है। छत्तीसगढ़ में वातावरण के अनुसार लगभग 500 लीटर पानी का निर्माण एक दिन में किया जाता ह

बकौल कक्कड़ मशीन सरकार की मदद से ऐसे ग्रामीण इलाकों में लगाई जाए, जहां पीने को पानी नहीं हो, प्रदेश के बस्तर जैसे इलाके में जहां पानी में पोषक तत्वों की जरूरत है।

कक्कड़ ने बताया कि अबतक 50 से अधिक मशीनों का निर्माण किया जा चुका है। मशीन की कीमत 6.5 लाख से 7 लाख रुपये है। रॉ मटेरियल के रूप में हवा का उपयोग पानी निर्माण के लिए किया जाता है।

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उत्तर प्रदेश

अवध शिल्प ग्राम में यूनिटी मॉल की निर्माण प्रक्रिया को गति देगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर उसे उत्तम प्रदेश बनाने के सपने को हकीकत की शक्ल दे रही योगी सरकार प्रदेश के समेकित विकास के लिए लगातार कार्यरत है। एक ओर, प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने के लिए महत्वकांक्षी लक्ष्य की ओर उत्तर प्रदेश ने सीएम योगी के मार्गदर्शन में कदम बढ़ा दिए हैं, वहीं प्रदेश में उत्तम नागरिक सुविधाएं व वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की दिशा में भी विस्तृत कार्ययोजना के अंतर्गत कार्य हो रहा है। इसी क्रम में, उत्तर प्रदेश में तीन यूनिटी मॉल के निर्माण का कार्य भी जारी है जिनमें लखनऊ, आगरा व वाराणसी मुख्य हैं। लखनऊ में अवध शिल्प ग्राम के सेक्टर 9 में यूनिटी मॉल का निर्माण कार्य निरंतर जारी है तथा इस प्रक्रिया में और तेजी लाते हुए योगी सरकार ने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटेंट (पीएमसी) एजेंसी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। योजना विभाग द्वारा इस प्रक्रिया को शुरू करते हुए निविदा जारी कर दी हैं जिससे कार्यावंटन का मार्ग सुनिश्चित होगा।

पीएमसी निर्धारण से निर्माण प्रक्रिया में आएगी तेजी

योजना विभाग द्वारा अवध शिल्प ग्राम के सेक्टर 9 में यूनिटी मॉल की निर्माण प्रक्रियाओं की निगरानी के लिए जिस पीएमसी को नियुक्त किया जाएगा वह कई मायने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगी। पीएमसी द्वारा रेगुलर मॉनिटरिंग और समय-समय पर दी जाने वाली रिपोर्ट्स न केवल इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता निर्धारण में निर्णायक सिद्ध होगी बल्कि इसके जरिए सभी निर्माण कार्यों को ट्रैक करने व उसी आधार पर कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त होगा। रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) माध्यम से निविदा प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है और जुलाई के पहले हफ्ते में कार्यावंटन हो जाएगा। कार्यावंटन के बाद 75 दिनों में कन्सलटेंसी को आर्किटेक्चरल डिजाइन प्रस्तुत करना होगा जिस पर स्वीकृति के बाद 18 महीने में सभी निर्माण कार्यों को पूर्ण कर लिया जाएगा। इस दौरान 36 महीने का डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड (डीएलपी) भी लागू रहेगा।

कई प्रकार के निर्माण कार्यों का मार्ग होगा सुनिश्चित

यूनिटी मॉल के निर्माण व विकास के लिए परियोजना के अंतर्गत कई संरचनात्मक कार्यों को पूरा किया जाएगा। इसके अंतर्गत रचनात्मक इनडोर स्पेसेस के निर्माण, उचित स्थान नियोजन के साथ ही यहां की जरूरतों के अनुसार विभिन्न कार्यात्मक आवश्यकताओं को पूर्ण किया जाएगा। कम रखरखाव के साथ ही उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए विद्युत, यांत्रिक और अन्य सेवाओं के एकीकृत डिजाइन पर काम होगा। पर्यावरण के मानकों के पालन के साथ ही हरित भवन, उत्तम वेंटिलेशन, जलवायु अनुकूल वास्तुकला, अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के साथ जल और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी तमाम प्रक्रियाओं को पूर्ण किया जाएगा।

200 नॉन एसी, 34 एसी शॉप्स का होगा निर्माण, 30 वर्ष की लीज पर होगा अलॉटमेंट

यूनिटी मॉल के विकास की जो कार्ययोजना क्रियान्वित की जा रही है, उसके अनुसार परिसर में 200 नॉन एसी तथा 34 एसी शॉप्स का निर्माण किया जाएगा। इन दुकानों को 30 वर्ष की लीज पर अलॉट किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यूनिटी मॉल में एग्जिबिशन हॉल, मल्टीपर्पज हॉल, फूड कोर्ट, वातानुकूलित एट्रियम, फायर एग्जिट समेत तमाम निर्माण कार्यों को पूर्ण जाएगा। 60 करोड़ रुपए से ज्यादा व्यय के जरिए इस पूरी परियोजना पूर्ण किया जाएगा।

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