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प्रादेशिक

सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता की तबियत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

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देहरादून। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट की सोमवार शाम अचानक तबीयत खराब हो गई। उन्हें जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभी उनकी बीमारी के बारे में कोई भी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन डॉक्टर उनकी जांच कर रहे हैं।

सोमवार शाम को योगी आदित्यनाथ के पिता की तबियत खराब होने पर उन्हें यमकेश्वर के पंचूर गांव से जौलीग्रांट के हिमालयन अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया। चेकअप के बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया।

इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल के विशेष कक्ष में रखा गया है। उनके साथ उनकी धर्मपत्नि सावित्री देवी भी आई है। अस्पताल की टीम बेहद गंभीरता से उनके उपचार में जुटी हुई है। यूपी के सीएम के पिता के हिमालयन अस्पताल में भर्ती होने पर तमाम लोग कुशलक्षेम जानने के लिए अस्पताल पहुंचने लगे। डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल उनकी तबियत में सुधार नजर आ रहा है।

गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह उत्तराखंड में फॉरेस्ट रेंजर के पद से 1991 में रिटायर हो गए थे। उसके बाद से ही वह अपने गांव पंचूर में रह रहे हैं। योगी आदित्यनाथ बचपन में ही अपना परिवार छोडक़र गोरखपुर महंत अवैद्यनाथ के पास चले आए थे।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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