अन्तर्राष्ट्रीय
संयुक्त राष्ट्र महासचिव जी20 सम्मेलन में शिरकत करेंगे
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को तुर्की जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बुधवार को यहां संवाददाताओं को इसकी जानकारी दी। दुजारिक ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासचिव तुर्की में शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे वैश्विक नेताओं के साथ कार्यकारी सत्रों में हिस्सा लेंगे, जिसमें विकास एवं जलवायु परिवर्तन, विकास रणनीतियों, रोजगार, आतकंवाद और शरणार्थी संकट जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।”
उन्होंने कहा, “महासचिव बान की मून तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एडरेगन सहित जी-20 सम्मेलन में शामिल अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों में भी शामिल होंगे।”
प्रवक्ता ने बताया कि महासचिव 16 नवंबर को वापस न्यूयॉर्क पहुंच जाएंगे।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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