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बिजनेस

व्हाइट लेवल एटीएम की चुनौतियां बरकरार

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वेंकटचारी जगन्नाथन

चेन्नई| व्हाइट लेवल एटीएम कंपनियों के लिए स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी केंद्र सरकार के फैसले को चेन्नई की एक कंपनी फाइनेंशियल सॉफ्टवेयर एंड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड (एफएसएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वागत योग्य कदम बताया, लेकिन यह भी कहा कि इससे व्हाइट लेवल एटीएम कंपनियों की चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। इस क्षेत्र को सस्ती पूंजी की जरूरत है।

व्हाइट लेवल एटीएम संचालक कंपनी दरअसल गैर बैंकिंग कंपनी होती हैं, जो एक कारोबार के रूप में एटीएम मशीनों का संचालन करती है। उनकी आय का मुख्य स्रोत शुल्क और विज्ञापन होते हैं। किसी भी बैंक का उपभोक्ता इस एटीएम की सुविधा ले सकता है।

गौरतलब है कि एफएसएस एक ब्राउन लेवल एटीएम कंपनी भी है। ब्राउन लेवल एटीएम कंपनी किसी बैंक की ओर एटीएम मशीनों का संचालन करती है और उसका स्वामित्व भी रखती है।

एफएसएस के प्रबंध निदेशक नागराज वी. मीलैंडला ने आईएएनएस से कहा, “सरकार की इस पहल के बाद मुझे अलग ढंग से सोचने पर विवश होना पड़ रहा है। मैं अब प्राइवेट इक्विटी फंड्स और विदेशी व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर के साथ समझौते की संभावना तलाश सकता हूं। उन्होंने कहा कि इस संभावना में बहुतायत बैंकों के साथ एटीएम मशीनों को साझा करना शामिल हो सकता है।”

एफएसएस विगत कुछ समय से व्हाइट लेबल एटीएम कारोबार में पदार्पण की योजना बना रहा है, लेकिन व्यावसायिक चुनौतियों के कारण कंपनी ऐसा नहीं कर पा रही है।

एफएसएस देशभर में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की 22 से भी अधिक अग्रणी बैकों के 25000 से ज्यादा एटीएम मशीनों का संचालन-प्रबंधन करती है। इसके अलावा विभिन्न बैंकों के लिए लगाई गई 10000 से भी अधिक एटीएम मशीनों का स्वामित्व कंपनी के पास है।

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें स्वचालित मार्ग से व्हाइट लेबल एटीएम कंपनियों के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई।

शर्त यह है कि अगर कोई गैर बैंकिंग संस्था व्हाइट लेबल एटीएम लगाने की योजना बना रही है, तो उसके पास न्यूनतम पूंजी 100 करोड़ रुपये हमेशा होनी चाहिए।

फिलहाल, मंजूरी के जरिए व्हाइट लेवल एटीएम कंपनियों में विदेशी निवेश की इजाजत है, हालांकि इसमें थोड़ा वक्त लगता था।

सरकार के मुताबिक, एफडीआई नियमों को सरल बनाने के निर्णय का मुख्य उद्देश्य देशभर में एटीएम नेटवर्क के विस्तार के माध्यम से देश में वित्तीय समावेशीकरण को बढ़ाना है।

वैसे तो बैंकों के स्वामित्व वाले एटीएम नेटवर्क में वृद्धि हुई है, लेकिन ये एटीएम मशीनें प्रथम और दूसरी श्रेणी के शहरों में ही हैं।

नागराज के अनुसार, व्हाइट लेबल एटीएम एक दीर्घकालिक कारोबार है और मौजूदा कंपनियों को फिलहाल इनसे आशानुरूप कमाई नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि बैंक खाताधारक व्हाइट लेबल एटीएम मशीनों का उपयोग करने में हिचकते हैं, क्योंकि उन पर किसी बैंक विशेष का नाम नहीं होता। उन्होंने कहा कि प्रत्येक एटीएम मशीन को व्यवहार्य बने रहने के लिए हर रोज 70 से 100 के बीच निकासी होनी चाहिए, लेकिन कई जगहों, यहां तक कि शहरों में भी ऐसा नहीं हो पा रहा है।

नागराज ने कहा कि एक एटीएम सेंटर लगाने में चार से सात लाख रुपये का खर्च आता है।

उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर एटीएम मशीनों की चोरी हो जाती है। राष्ट्रीयकृत बैंकों, जिनका विशाल एटीएम नेटवर्क होता है, को एक एटीएम की चोरी से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन गैर बैंकिंग कंपनियों को एक मशीन की चोरी से भी बड़ा झटका लगता है।

लगभग 7000 मशीनों के एटीएम नेटवर्क वाले बैंकों के लिए अपनी गतिविधियों को आउटसोर्स करने का औचित्य तो है, लेकिन जब यह संख्या और ज्यादा हो जाती है तो बैंक स्वयं ही नेटवर्क के संचालन को तत्पर दिखने लगते हैं।

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड (एनपीसीआई) की वेबसाइट के अनुसार, अगस्त, 2015 तक देश में सात व्हाइट लेबल एटीएम कंपनियां हैं, जो 10,133 एटीएम मशीनों का संचालन कर रही हैं। एनपीसीएल के अनुसार, नेशनल फाइनेंशियल स्विच – एनएफएस में कुल एटीएम की संख्या 2,07,919 है।

नेशनल

अचानक सिक लीव पर गए 300 सीनियर कर्मचारी, एयर इंडिया की 70 से ज्यादा उड़ानें रद्द

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नई दिल्ली। एयर इंडिया के 300 सीनियर कर्मचारी एक साथ सिक लीव पर चले गए हैं जिस कारण उसकी 70 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं। टाटा ग्रुप की एयरलाइन के प्रवक्ता ने बयान जारी करके देशवासियों को यह जानकारी दी।

एयरलाइन के सीनियर क्रू मेंबर्स ने बीमार होने की लीव दी है। इसके बाद एयरलाइन को इंटरनेशनल और डोमेस्टिक फ्लाइट कैंसिल करनी पड़ीं। वहीं सूत्रों के मुताबिक, नागरिक उड्डयन विभाग तक मामला पहुंच गया है और अधिकारी मामले में दखल दे रहे हैं, क्योंकि अचानक क्रू मेंबर्स का छुट्टी पर चले जाना विवाद की ओर संकेत कर रहा है। हाल ही में विस्तारा एयरलाइन में भी सकंट आया था। क्रू मेंबर्स छुट्टी पर चले गए थे और देशभर में यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया एक्सप्रेस ने अचानक हुई परेशानी के चलते यात्रियों से माफी मांगी और रिफंड देने का ऐलान किया। एयरलाइन के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि कंपनी के क्रू मेंबर्स से बात चल रही है। अगर कोई विवाद हुआ तो उसे जल्द सुलझा लिया जाएगा। परेशानी के लिए खेद है, पैसेंजर्स को उनका रिफंड जल्दी ही दे दिया जाएगा। जल्दी ही फ्लाइट्स एक्टिव मोड में जाएंगी। ऐसे में जो पैसेंजर्स अपनी फ्लाइट्स री-शेड्यूल कराना चाहते हैं, वे बता सकते हैं। एक्स्ट्रा फीस लिए बिना फ्लाइट री-शेड्यूल कर दी जाएगी।

बता दें कि एयर इंडिया एक्सप्रेस, एयर इंडिया की सहायक कंपनी है। नवंबर 2022 में एयर इंडिया ने इसका अधिग्रहण किया था। एयरलाइन के पास 28 एयरबस, 26 बोइंग और 737 प्लेन है। एयरलाइन लगभग पूरे देश में अपनी सर्विस देती है, लेकिन अब अचानक क्रू मेंबर्स का संकट गहराने से एयरलाइन सुर्खियों में आ गई है।

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