अन्तर्राष्ट्रीय
यमन संकट : यूएई ने पाकिस्तान की आलोचना की
इस्लामाबाद | संकटग्रस्त यमन से पाकिस्तान को अलग रखने की पाकिस्तानी सांसदों की सरकार से अपील की संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने शनिवार को कड़ी आलोचना की। यूएई के विदेश राज्य मंत्री अनवर मोहम्मद गरगश ने समाचार पत्र खलीज टाइम्स से कहा, “पाकिस्तान तथा तुर्की का विरोधाभाषी व अस्पष्ट रुख यह साबित करता है कि अरब की सुरक्षा -लीबिया से लेकर यमन तक- की जिम्मेदारी किसी की नहीं, बल्कि अरब देशों की ही है।”
उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा, “ढुलमुल रुख के लिए उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी।” उन्होंने कहा कि छह सदस्यों वाले अरब खाड़ी सहयोग परिषद से सामरिक संबंधों के पक्ष में पाकिस्तान को एक स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।” यमन संकट में तटस्थ रहने को लेकर पाकिस्तानी संसद में एक प्रस्ताव पारित होने के कुछ समय बाद गरगश ने ट्वीट किया, “अरब की खाड़ी एक खतरनाक टकराव के दौर में है। इसकी सुरक्षा खतरे में है। और यही वक्त है कि वास्तविक सहयोगी या मीडिया में केवल बयान देने वाले सहयोगी का सच सामने आने का।” उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी संसद ने शुक्रवार को एकमत से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सऊदी अरब की क्षेत्रीय अखंडता तथा पवित्र स्थल मक्का व मदीना की सुरक्षा का संकल्प लिया गया है। लेकिन संघर्ष में इन दोनों में से अब तक किसी भी जगह को खतरा महसूस नहीं हुआ है।
प्रस्ताव के मुताबिक, “पाकिस्तान को एक मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए और वह यमन की लड़ाई में शामिल नहीं होगा।” प्रस्ताव में कहा गया है, “पाकिस्तान की इच्छा यमन संकट में तटस्थ भूमिका निभाने की है, ताकि वह इस संकट का सक्रिय कूटनीतिक माध्यम से समाधान कर सके।”
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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