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मातृत्व अवकाश का बढ़ना कितना फायदेमंद?
नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने अभी हाल में ही मातृत्व संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है, जिसमें गर्भवती महिलाओं को 12 सप्ताह की जगह अब 26 सप्ताह का अवकाश देने का प्रावधान होगा। लघु एवं मझोले उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि इस प्रावधान से महिला कर्मचारियों को रोजगार संबंधी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। प्रस्तावित संशोधन से एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या यह संशोधन वास्तव में महिला कर्मचारियों के हित में है या इससे शादीशुदा महिला कर्मचारियों की नियुक्ति प्रतिबंधित हो जाएगी?
सीआईआई इंडियन वुमन नेटवर्क (आईडब्ल्यूएन) की सर्वे रिपोर्ट, ‘दूसरी पारी’ के अनुसार, 37 प्रतिशत महिलाओं को मातृत्व व बच्चों की देखरेख के कारण अपनी नौकरी बीच में ही छोड़नी पड़ती है।
वर्तमान प्रसूति सुविधा अधिनियम, 1961 में महिलाओं को 12 सप्ताह का मातृत्व लाभ दिया जाता है, जिसके जरिये नियोक्ता द्वारा प्रसूति महिला को अवकाश अवधि के लिए पूरे वेतन का भुगतान किया जाएगा। हालांकि, नवीनतम प्रस्तावित प्रसूति सुविधा संशोधन विधेयक 2016 में मौजूद 12 सप्ताह की अवकाश अवधि को 26 सप्ताह बढ़ाने और मातृत्व लाभ अवधि समाप्त होने के बाद महिला को घर से काम करने का विकल्प देने का प्रस्ताव है। 50 से अधिक कर्मचारियों वाली कम्पनियों में शिशुगृह (क्रेच) स्थापित करने का भी प्रावधान है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में महिला बेरोजगारी दर 6.6 जबकि पुरुष बेरोजगारी दर 3.2 है। इसी तरह, ग्रामीण क्षेत्रों में महिला बेरोजगारी दर 2.9 जबकि पुरुष बेरोजगारी दर 2.1 है। यह स्थिति अधिक भयानक हो सकती है, क्योंकि लघु व मध्यम आकार की संस्थाएं, अतिरिक्त लाभ के भुगतान से संबंधित अतिरिक्त लागत के प्रस्ताव से निराश हैं।
अनुपम सिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजेंद्र गर्ग ने कहा, “हालांकि हम अपनी महिला कर्मचारियों को यथासंभव बेहतरीन सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बहुत कम बजट वाली लघु संस्थाओं के लिए शिशुगृह की स्थापना और पूर्ण भुगतानयुक्त 26 सप्ताह का अवकाश का अनुसरण करना बहुत मुश्किल होगा, क्यांेकि इस संशोधन से संस्थागत लागत में वृद्धि होगी और कारोबार को जारी रखने के लिए एक अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करना आवश्यक होता है।”
पिछली जनगणना रिपोर्ट 2011 के अनुसार, भारत में महिलाओं की कुल कार्यबल भागीदारी दर 25.51 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की भागीदारी 53.26 प्रतिशत है। जहां तक बात शहरी क्षेत्रों की है तो महिलाओं की भागीदारी दर 14.7 प्रतिशत है जबकि पुरुष कार्यबल भागीदारी 54.4 प्रतिशत है।
हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला कार्यबल भागीदारी दर 24.8 है जबकि पुरुषों की भागीदारी 54.3 प्रतिशत है। संगठित क्षेत्र में महिला रोजगार सिर्फ 20.5 प्रतिशत है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में 18.1 प्रतिशत और निजी क्षेत्र में 24.3 प्रतिशत है। ये आंकड़े भारत में महिला रोजगार की छवि को प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त हैं।
केएनजी एग्रो के निदेशक सिद्धार्थ गोयल ने कहा, “हम महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने के पक्ष में हैं, लेकिन लघु व मध्यम आकार के उद्योग के लिए इन सभी सुविधाओं को प्रस्तुत करने में व्यय व व्यावहारिक परेशानी बढ़ने के कारण इन संशोधित अतिरिक्त लाभ से सूक्ष्म, लघु व मध्यम संस्थाओं में शादीशुदा महिलाओं की नियुक्ति प्रभावित हो सकती है।”
दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कुणाल मदान ने कहा कि इस अधिनियम के अंतर्गत महिलाओं को मातृत्व लाभ से बर्खास्तगी या सेवामुक्ति की जाती है, तो नियोक्ता को एक वर्ष का कारावास और 5,000 रुपये जुर्माना हो सकता है। न्यूनतम सजा क्रमश: तीन माह कारावास और 2,000 रुपये जुर्माना होगा।
आरएसजे लेक्सिस के निदेशक गौरव जैन ने कहा, “इससे गर्भवती महिलाओं को रोजगार संबंधी परेशानी आएगी, क्योंकि कोई भी नियोक्ता किसी भी प्रसव या गर्भपात या चिकित्सीय गर्भावस्था समापन दिन से छह सप्ताह की अवधि वाली किसी भी महिला के बारे में जानकर उसे नियुक्त नहीं करेगा।”
नेशनल
सामने आई स्वाति मालीवाल की मेडिकल रिपोर्ट, शरीर के इन हिस्सों पर चोट के निशान
नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट के बाद उनका एम्स में मेडिकल टेस्ट कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट आ गई हैं। रिपोर्ट देखकर पता चलता है कि स्वाति के शरीर पर चार जगह चोट लगी थी। एम्स की रिपोर्ट में सामने आया है कि स्वाति मालीवाल को ‘बाएं पैर के थाइस’ पर 3×2 सेंटीमीटर के आकार की चोट थी और उनके ‘दाहिनी आंख के नीचे दाहिने गाल’ पर 2×2 सेंटीमीटर आकार की एक और चोट थी।
एम्स के डॉक्टर आनंद गंगदेव द्वारा बनाई गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीज द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सीएम के आवास पर 13 मई को उनपर परिचित व्यक्ति ने हमला किया था. उन्हें कई बार थप्पड़ मारे गए और उनके सिर पर कठोर वस्तु से हमला किया गया और वह जमीन पर गिर गईं. उनके पेट, पेल्विस और चेस्ट पर पैर से कई बार मारा गया. मरीज फिलहाल जांघ और पेल्विस एरिया में दर्द की शिकायत कर रहा है।
सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें सिविल लाइन्स थाने लेकर जाया गया है। दिल्ली पुलिस को पहले ही बिभव कुमार के सीएम हाउस में होने का इनपुट मिला था। सूचना के बाद पुलिस टीम में एसएचओ सिविल लाइंस और एडिशनल डीसीपी नॉर्थ सीएम आवास पर पहुंचे थे। सूचना मिलने के बाद एक गाड़ी सीएम हाउस में पहुंची थी। दिल्ली पुलिस की टीम जब सीएम हाउस पर पहुंची तब वहां पर पहले से ही गेट खुले हुए थे। इस गाड़ी को गेट पर नहीं रोका गया और गाड़ी सीधा सीएम हाउस में चली गई। गाड़ी के लिए पहले से सीएम हाउस में मैसेज था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम सीधे सीएम हाउस में गई और फिर वहां से बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि गिरफ्तारी से पहले ही बिभव कुमार ने एक मेल किया था, जिसमें उसने हर जांच के लिए साथ देने की बात कही थी। अपने मेल में बिभव कुमार ने लिखा कि ‘मैं हर जांच में सहयोग को तैयार हूं। मुझे मीडिया के माध्यम से FIR दर्ज होने के बारे में जानकारी हुई। अभी तक मुझे एफआईआर के बाद कोई नोटिस नहीं दिया गया है। मेरी शिकायत पर भी दिल्ली पुलिस संज्ञान ले।’
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