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‘माउस डियर’ बढ़ाएंगे ‘कानन’ की शोभा!

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रायपुर। हिरणों की सबसे छोटी प्रजाति माउस डियर (मूषक हिरण) बहुत जल्द ही छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित कानन पेंडारी चिड़ियाघर की शोभा बढ़ाएंगे। इसके लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को प्रस्ताव भेज दिया गया है। माउस डियर हैदराबाद के नेहरू जुलाजिकल पार्क से लाए जाएंगे। इसके बदले कानन पेंडारी उन्हें 3 कोटरी व 2 घड़ियाल देगा।

कानन पेंडारी में अभी हिरणों को 12 प्रजातियां मौजूद हैं। माउस डियर के आने से इनकी संख्या 13 हो जाएगी।

ये माउस हिरण (मूषक हिरण) देशभर में गिने-चुने स्थानों पर पाए जाते हैं। ये हिरणों की सबसे छोटी प्रजाति के हैं। ये स्वभाव से एकाकी रहना पसंद करते हैं। ये सुरंग बनाकर पेड़ों की जड़ या पत्थरों की ओट में छुपकर रहते हैं। इनकी ऊंचाई कम होती है। फिलहाल कानन पेंडारी में 2 माउस डियर के जोड़े लाए जाएंगे। बताया जाता है कि इन हिरणों में सींग नहीं होते।

कानन पेंडारी के रेंज ऑफिसर टी.आर. जायसवाल ने बताया कि यह माउस डियर विलुप्ति की कगार पर है। देशभर में यह गिन-चुने संख्या में मौजूद है।

उनका कहना है कि हैदराबाद स्थित नेहरू जुलाजिकल पार्क से ये हिरण लाए जाएंगे। वहां इन माउस डियरों की संख्या सबसे ज्यादा है। वहां का वातावरण इनके लिए अनुकूल है। इन्हें लाने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं हैदराबाद स्थित नेहरू जुलाजिकल पार्क और कानन पेंडारी से इनके आदान-प्रदान को लेकर सहमति बन चुकी है। अब इंतजार है तो सिर्फ शिफ्टिंग का।

उन्होंने संभावना जताई है कि महीनेभर के भीतर ये माउस डियर कानन पेंडारी लाए जा सकते हैं।

जायसवाल ने बताया कि अब तक 12 प्रजाति के हिरण कानन पेंडारी में हैं, इसे मिलाकर इनकी संख्या 13 हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि हैदराबाद स्थित नेहरू जुलाजिकल पार्क के क्यूरेटर जी. रवि से उन्होंने माउस डियर की मांग की। जिस पर उन्होंने सहमति जताई है। साथ ही उन्होंने इसके बदले में 3 कोटरी व 2 घड़ियाल की मांग की, जिस पर दोनों अफसरों की सहमति बन गई है। कानन पेंडारी में अभी 12 प्रजाति के प्रजाति के हिरण हैं, इसमें चौसिंगा, कोटरी, सफेद हिरण, शूकर, गोराल, मणिपुरी मृग, नील गाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा और बारहसिंगा शामिल हैं।

मणिपुर का राजकीय पशु संघई हिरण (मणिपुरी मृग) इन दिनों कानन पेंडारी बिलासपुर के चिड़ियाघर में आकर्षण का केंद्र है। इस मृग के साल में दो बार बाल झड़ते हैं और रंग में परिवर्तन तो आता ही है, वहीं अप्रैल-मई के महीने में इस मृग के सींग भी झड़ते हैं, जो पुन: आ जाते हैं। ये प्रक्रिया उनके जीवित रहने तक जारी रहती है।

पर्यटकों के लिए खास प्रजाति के इस मृग का आकर्षण बना हुआ है, जिसे निहारने बड़ी संख्या में लोग कानन पेंडारी आते हैं। मणिपुरी मृग दिखने में तो बारहसिंगा जैसे होते हैं, लेकिन इनका आकार छोटा होता है। इनकी उम्र का अंदाजा भी इनकी सींगों से होता है।

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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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