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मप्र : स्वाइन फ्लू से 90 मौतें, विपक्ष खफा 

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भोपाल| मध्य प्रदेश में जानलेवा वायरस स्वाइन फ्लू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य सरकार इसे प्राकृतिक आपदा मानते हुए इससे अब तक 90 लोगों की मौत होने की बात स्वीकार रही है। विपक्षी कांग्रेस इन मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हालांकि राज्य में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं को संतोषजनक करार दिया है। राज्य में स्वाइन फ्लू के बढ़ते असर के बीच गुरुवार को विधानसभा में कांग्रेस की ओर से स्थगन प्रस्ताव लाया गया। कांग्रेस की ओर से विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने चर्चा शुरू करते हुए कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं। सरकार सिर्फ भाषणबाजी और विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।

विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि सरकार स्वाइन फ्लू से मरने वालों का जो आंकड़ा पेश कर रही है, वह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य को राजस्थान से सीख लेना चाहिए, जहां लोगों को स्वाइन फ्लू प्रतिरोधक दवाएं दी जा रही हैं।

कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने सरकारी मशीनरी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के अफसरों का जोर बीमारी पर काबू पाने में नहीं है। यही कारण है कि राज्य में डेंगू के बाद अब स्वाइन फ्लू लोगों को निगल रहा है।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गुरुवार को विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू प्राकृतिक आपदा है। उनका तर्क है कि वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि देश के 20 राज्यों में इसका प्रकोप है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में 15 नवंबर 2014 को ही बैठक कर इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी।

उन्होंने कहा कि राज्य में स्वाइन फ्लू से अब तक 90 मौतें हुई हैं, वहीं 1,052 लोगों के रक्त के नमूनों की जांच के बाद नतीजे सकारात्मक पाए गए। इनमें से पांच की हालत गंभीर बताई गई है।

उनका दावा है कि राज्य में स्थिति अब नियंत्रण में है। सरकारी के साथ 67 निजी चिकित्सालय इलाज के लिए चिह्न्ति किए गए हैं। प्रदेश में जबलपुर व ग्वालियर में दो प्रयोगशालाएं जांच के लिए हैं। सरकार भोपाल व ग्वालियर में भी इस तरह की प्रयोगशालाएं खोलने के लिए प्रयासरत है।

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि राज्य में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अस्पतालों में पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। सभी अस्पतालों में दवाएं उपलब्ध हैं।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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