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आध्यात्म

मप्र की तीर्थ-दर्शन योजना में 10 नए तीर्थस्थल जुड़े

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भोपाल, 20 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में पांच साल पूरे कर चुकी मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में नए 10 तीर्थ-स्थानों को जोड़ा गया है। आधिकारिक तौर बुधवार को दी गई जानकारी के मुताबिक, गंगा-सागर, कामाख्या देवी, गिरनार, पटना साहिब तथा मध्यप्रदेश के उज्जैन, मैहर, रामराजा ओरछा, चित्रकूट, ओंकारेश्वर और महेश्वर को इस योजना में शामिल किया गया है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, पूर्व में तीर्थ-यात्रियों को बद्रीनाथ, केदारनाथ, जगन्नाथ पुरी, द्वारका पुरी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णोदेवी, शिर्डी, तिरूपति, अजमेर शरीफ , काशी, गया, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला, तेलांगणी चर्च की यात्रा कराई गई है। इसके अतिरिक्त यात्रियों को कैलाश मानसरोवर, पाकिस्तान स्थित हिंगलाज देवी मंदिर तथा ननकाना सहिब, श्रीलंका के सीता मंदिर अशोक वाटिका तथा कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की यात्रा का भी प्रावधान है।

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में मध्यप्रदेश के मूल निवासी 60 वर्ष या अधिक आयु के व्यक्ति को उनके जीवन काल में एक बार प्रदेश के बाहर स्थित विभिन्न तीर्थ-स्थानों में से किसी एक स्थान की नि:शुल्क यात्रा कराई जाती है। इस योजना की पांच वर्ष की अवधि में अब तक पांच लाख तीन हजार बुजुर्गो ने तीर्थ-दर्शन किए हैं।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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