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भीड़ को उकसाते नजर आए BJP नेता गिरिराज सिंह, तेजस्वी ने शेयर किया वीडियो

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पटना। बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह एक बार फिर से विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। वीडियो में गिरिराज सिंह नारेबाजी कर रही भीड़ को यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि डीएसपी मुर्दाबाद बोलो।

करीब 18 सेकेंड के इस वीडियो में मंत्री के साथ कई लोग चलते दिख रहे हैं। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस वीडियो को शेयर किया है। तेजस्वी ने गिरिराज सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि गिरिराज सिंह राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जा रहे हैं। तेजस्वी ने लिखा है, “केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भीड़ को बिहार सरकरा के खिलाफ भड़का रहे हैं।

वो भीड़ को डीएसपी के खिलाफ ‘डीएसपी मुर्दाबाद’ का नारा लगाने को कहते हैं। नीतीश कुमार गृह विभाग देखते हैं और गिरिराज सीएम के खिलाफ जा रहे हैं। नीतीश जी असहाय बने हुए हैं जबकि बीजेपी पूरे राज्य को बर्बाद करना चाहती है।”

 बता दें कि राज्य के उत्तरी इलाके के बड़े शहर दरभंगा के बाबू भदवा में असामाजिक तत्वों ने एक शख्स की गला काटकर हत्या कर दी थी। इसके खिलाफ बीजेपी समर्थित लोगों ने शनिवार (17 मार्च) को केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में नारेबाजी की थी।

आरोप है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर मोदी चौक नाम रखने पर राजद समर्थित एक शख्स ने रामचंद्र यादव की हत्या कर दी थी। हालांकि, राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसे गलत करार देते हुए हत्या को जमीनी विवाद का परिणाम बताया है।

तेजस्वी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है, “हार से घबराये व बौखलाहट में कल शाम भागलपुर में दंगा करवाया गया। अररिया, दरभंगा के बाद अब भागलपुर। नीतीश कुमार इतने असहाय,बेबस और लाचार क्यों है? गृह विभाग नीतीश कुमार के पास है वो माहौल बिगाड़ने वाले ऐसे तत्वों और शक्तियों को प्रायोजित और प्रोत्साहित क्यों कर रहे है?” इस बीच पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही पुलिस ने कहा है कि विवाद को पीएम मोदी से जोड़कर सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट किया जा रहा है।

 

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लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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