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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत, फ्रांस दिल्ली-चंडीगढ़ रेल परियोजना पर साझा अध्ययन करेंगे

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पेरिस| भारत और फ्रांस नई दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच अर्ध-तीव्रगति (सेमी हाईस्पीड) रेल चलाए जाने संबंधी एक परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर संयुक्त अध्ययन करेंगे। यह संयुक्त अध्ययन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा होलांद के बीच बातचीत के बाद शुक्रवार परिवहन के क्षेत्र में सहयोग पर हुए समझौते का हिस्सा है।

दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, भारतीय रेलवे और फ्रेंच नेशनल रेलवेज (एसएनसीएफ), दिल्ली-चंडीगढ़ लाइन को 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार लायक बनाने की परियोजना का एसएनसीएफ द्वारा किए जाने वाले अध्ययन का मिलकर वित्तपोषण करेंगे।

समझौते के अनुसार, इस अध्ययन में अंबाला और लुधियाना रेलवे स्टेशनों को फिर से विकसित करने का काम भी शामिल होगा।

बयान में कहा गया है, “दोनों पक्षों ने मुंबई-अहमदाबाद तीव्रगति गलियारे के लिए एक व्यापार विकास अध्ययन के सफलतापूर्वक पूरा होने पर संतोष जताया।”

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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