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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत को फिर सबक सिखाने का समय : चीनी विशेषज्ञ

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बीजिंग, 25 जुलाई (आईएएनएस)| सीमा पर जारी गतिरोध के बीच एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा है कि भारत को एक बार फिर सबक सिखाने का समय आ गया है, क्योंकि वह अड़ियल रुख अपनाए हुए है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन गोंग ने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में एक टिप्पणी में कहा है, भारत के डोकलाम में उल्लंघन को लेकर लोगों का धैर्य कम हो रहा है।

उन्होंने कहा, इस तरह के बेलगाम पड़ोसी, भारत को समझ में आने वाली भाषा में जवाब देना चाहिए।

उन्होंने स्पष्ट तौर पर 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, चीन के साथ भारत के साहस प्रदर्शन का इतिहास कभी उसका समर्थन नहीं करता है। यदि भारतीय पक्ष की स्मृति कमजोर हो गई है तो एक दूसरा सबक दिया जाना चाहिए।

हालिया सीमा गतिरोध तब पैदा हुआ, जब बीते महीने डोकलाम में चीनी जवानों को भारत ने सड़क निर्माण करने से रोका। भारत ने कहा कि यह इलाका भूटान का है और यह सड़क भारत के लिए रणनीतिक हितों के लिए खतरा हो जाएगी।

उन्होंने कहा है, भारत के इस तर्क से यह भान होता है कि उसकी सेना जमीनी तौर पर कमजोर है। भारत का रुख है कि डोकलाम चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है और उसे इसके संरक्षित राज्य भूटान द्वारा आमंत्रित किया गया है।

उन्होंने कहा है, इसके अलावा यह भी दावा है कि चीन का डोकलाम में सड़क निर्माण ‘चिकन नेक’ को रणनीतिक तौर पर खतरा है।

‘चिकन नेक’ से तात्पर्य 27 किमी चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर से है, जो डोकलाम के दक्षिण में है। यह शेष भारत को पूर्वोत्तर हिस्से से जोड़ता है।

लेख में कहा गया है कि चीन डोकलाम में सीमा चौकियों पर बेहतर सैन्य सुविधा के लिए सड़क का निर्माण करने का प्रयास कर रहा है और भारत पर सुरक्षा देने के बहाने घुसपैठ करने का आरोप लगाया गया है।

लेख में कहा गया है, चीन, सिक्किम या भूटान नहीं है, जहां भारत की सामरिक रणनीति काम करती है।

लेखक में सीमा विवाद व कश्मीर विवाद के बीच संबंध भी स्थापित किया गया है।

विशेषज्ञ ने कहा है, भारत ने इस आधार पर उल्लंघन कर दूसरे देश में दाखिल होने का साहस किया है, यदि इस तरह का तर्क सही है तो पाकिस्तान के निमंत्रण पर एक तीसरा देश निश्चित तौर पर कश्मीर में दाखिल हो सकता है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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