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बोझ तले दबी सीबीआई कैसे करेगी व्यापमं में इंसाफ
चैतन्य मल्लापुर
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने का भले ही स्वागत किया है, लेकिन सवाल यह है कि एजेंसी के पास भ्रष्टाचार के 6,562 मामले पहले से लंबित पड़े हैं, ऐसे में क्या उसके पास इस मामले में इंसाफ की गुंजाइश है।
सीबीआई पहले व्यापमं घोटाले की जांच करेगी, जिसका मतलब है हजारों संदिग्धों व गवाहों का पता लगाना और फिर जांच को सही मुकाम तक पहुंचाना। जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल करना होगा, जिसके बाद ही मामले की सुनवाई शुरू होगी।
शिवराज सिंह पर मामले की सीबीआई जांच कराने का बेहद दबाव था, क्योंकि मामले की साल 2013 में शुरू हुई जांच के बाद से लेकर अबतक इससे जुड़े कम से कम 35 लोगों की मौत हो चुकी है। उन पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए मध्य प्रदेश व्यावसायिक मंडल (व्यापमं) को रिश्वत देने का आरोप था।
इस खूनी घोटाले में पहले ही 2,500 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है, जबकि 1,900 लोग जेल में बंद हैं। सीबीआई के लिए यह जांच बेहद चुनौतियों भरी होगी, जो पहले से ही हजारों की संख्या में लंबित मामलों के बोझ तले दबी है।
बीते चार सालों के दौरान सीबीआई मामलों के बोझ को नौ फीसदी से कम नहीं कर पाई है। सरकार से 31 मार्च, 2014 को प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, साल 2011 में सीबीआई के समक्ष लंबित मामलों की संख्या 7,178 थी, जबकि साल 2014 में यह 6,562 थी।
लंबित मामलों की संख्या में दिल्ली शीर्ष पर है, जहां सीबीआई अदालत के पास कुल 765 मामले लंबित हैं। महाराष्ट्र (691) का दूसरा स्थान है, पश्चिम बंगाल (646) तीसरे स्थान पर है, वहीं उत्तर प्रदेश (596) चौथे जबकि तमिलनाडु (474) पांचवें स्थान पर है।
बीते चार सालों के दौरान सीबीआई ने भ्रष्टाचर निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत 2,220 मामले दर्ज किए हैं। एजेंसी ने 1,512 मामलों में जांच पूरी कर ली है, जबकि 708 मामलों की जांच करनी बाकी है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, साल 2013 के दौरान सीबीआई अदालतों में भ्रष्टाचार के मामलों में सजा दर 69 फीसदी थी।
वहीं हाई प्रोफाइल मामलों में बेहद धीमी प्रगति देखी गई है।
व्यापमं घोटाले के भी हाई प्रोफाइल होने की संभावना है, क्योंकि इसमें शीर्ष सरकारी अधिकारी व मंत्री संलिप्त हैं।
मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव की भी कथित तौर पर घोटाले में संलिप्तता है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्यपाल को एक नोटिस भी जारी किया गया है। घोटाले के एक आरोपी ने केंद्रीय मंत्री उमा भारती के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
बीते चार सालों के दौरान, सीबीआई ने केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, राज्य तथा केंद्र के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ कुल 45 मामले दर्ज किए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल 25 मामलों की सुनवाई चल रही है, जबकि 12 मामलों की जांच चल रही है। सीबीआई ने पांच मामलों को बंद कर दिया है। एक मामले में सीबीआई ने अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की है।
उल्लेखनीय है कि नौ जुलाई, 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापामं घोटाले से जुड़े सभी आपराधिक मामलों व मौतों की जांच को सीबीआई को स्थानांतरित किया है।
व्यापमं घोटाले में पहली मौत साल 2009 में सामने आई थी, जब एक मेडिकल छात्रा, जिसपर पुलिस ने रिश्वत देकर नामांकन कराने की प्रक्रिया में मध्यस्थ होने का आरोप लगाया था, की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मामले से जुड़े 500 लोग लापता हैं।
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये लेखक के निजी विचार हैं)
नेशनल
कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत
नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।
मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।
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