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बिहार में हार के लिए मोहन भागवत जिम्मेदार : भाजपा सांसद

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पटना। बिहार चुनाव में एनडीए की करारी हार के बाद भाजपा के नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप सामने आने लगे हैं। भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने एक ओर जहां पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का बचाव किया तो शुत्रघ्न सिन्हा से लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत तक को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होसने तो यहां तक कह डाला कि भाजपा को इतनी सीटें आ गईं वो ही बहुत है।

भाजपा सांसद नारायण का कहना है कि मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए बयान से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि यह बयान गलत समय आया, जिसके चलते पार्टी का वोट बैंक खिसक गया। उन्होंने कहा कि आरएसएस से सुझाव लिए जा सकते हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से नहीं। उन्होंहने कहा, पीएम के प्रति दलित समाज की आस्था है, लेकिन लोगों के मन से डर नहीं निकाल सके। मोहन भागवत के बयान पर पिछड़ी जाति उत्तेजित हुईं। हुकुम देव ने कहा कि चुनाव में हार जीत तो होती रहती है जो जीत जाता है उसकी चूक कोई नहीं देखता जो हार जाता है उसकी चूक सब देखते हैं, अब जो होना था वो गया।

बता दें कि मोहन भागवत ने पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर को दिए इंटरव्यू में कहा था कि आरक्षण पर फिर से विचार करने का समय आ गया है। आरक्षण की जरूरत और उसकी समय सीमा पर एक समिति बनाई जानी चाहिए।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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