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मनोरंजन

फिल्म जगत में प्रतिभा से अधिक सुंदरता का महत्व : मर्जी पेस्तोन्जी

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नई दिल्ली | देश के दिग्गज कोरियोग्राफर श्यामक डावर के शाहिद कपूर और सुशांत सिंह राजपूत जैसे पूर्व छात्रों ने आज हिंदी फिल्म जगत में अपना मुकाम बना लिया है। लेकिन श्यामक के सहयोगी रहे मर्जी का फिल्मों में हाथ आजमाने का कोई इरादा नहीं है। क्योंकि मर्जी मानते हैं कि हमारे फिल्म उद्योग जगत में दूसरी चीजें बाद में सुंदरता सबसे पहले आती है।

मर्जी पिछले लगभग दो दशकों से श्यामक के सहयोगी हैं। मर्जी ने फिल्मों में आने के सवाल पर बताया, “क्या मैं एक हीरो की तरह दिखता हूं? क्या आप किसी फिल्म को रिलीज होने से पहले ही उसे फ्लॉप करने चाहते हैं। भारत में, प्रतिभा कोई बड़ा कारण नहीं है। आपको प्रतिभाशाली होने की जरूरत नहीं है। आप सबसे पहले अच्छे दिखने चाहिए। मैं ऐसा नहीं हूं।” उन्होंने बताया, “मैंने इसे स्वीकार कर लिया है और मैं इसके बारे में खुश हूं। मैं अभिनय में हाथ नहीं आजमा रहा।” वह नृत्य आधारित शो में बतौर जज भूमिका निभाकर संतुष्ट हैं। वह कहते हैं, ” मैं यह करते हुए खुशी होती है। मुझे अधिक नहीं चाहिए। मर्जी जल्द ही डांस शो ‘नच बलिए 7’ में प्रीति जिटा और चेतन भगत के साथ जज की भूमिका में दिखने वाले हैं। प्रीति जिंटा और चेतन भगत के साथ अपने तालमेल पर वह कहते हैं, “यह बहुत अच्छा है। क्योंकि मैं प्रीति को काफी लंबे अर्से से जानता हूं। हमने साथ काम किया है। मैं श्यामक के लिए काम करता हूं तो मैंने प्रीति के साथ कई अवॉर्ड समारोह की तैयारियां की है। हमने कई टूर भी एक साथ किए हैं। चेतन को मैं नहीं जानता। मैंने उनके बारे में सुना है। इस मंच पर हमारी पहली बार मुलाकात हुई।”

जैज और समकालीन नृत्य शैलियों में पारंगत मर्जी कहते हैं कि डावर जो करते हैं। मैं उन सभी मैं शामिल हूं और फिलहाल व्यक्तिगत रूप से कोई परियोजना करने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं नृत्य सीखाता हूं। यह मेरी प्राथमिकता है। जो ज्ञान आपके पास है, यदि आप उसे अन्य लोगों में नहीं बांटोगे तो उसके होने का क्या लाभ? मुझे लोगों को सीखाना पसंद है।”

प्रादेशिक

13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा

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मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले प‍िता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।

बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।

लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।

बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।

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