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हेल्थ

पुणे : मुफ्त में होगा तेजाब पीड़ितों का इलाज

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पुणे| यहां के एक अस्पताल में एक खास तरह का बर्न सेंटर स्थापित किया जाएगा। इस बर्न सेंटर में तेजाब हमलों से पीड़ित महिलाओं का मुफ्त में इलाज किया जाएगा। इस अस्पताल का निर्माण दिहाड़ी मजदूरी करने वाले एक व्यक्ति के चिकित्सक बेटे ने कराया है। पुणे के हडपसर में स्थित मेडीकेयर अस्पताल के संस्थापक और मालिक गणेश राख ने कहा, “इस बर्न सेंटर में तेजाब हमलों और दहेज के कारण जलने वाली महिलाओं का मुफ्त में इलाज किया जाएगा। अगर कोई पुरुष इलाज के लिए आता है तो उससे सामान्य रूप से शुल्क लिया जाएगा।”

कुछ माह पहले राख के अस्पताल में एक दहेज उत्पीड़न की शिकार 22 वर्षीय नव विवाहिता इलाज के लिए आई थी, जिसके बाद से उनको यह विचार आया। उसको कथित तौर पर ससुराल पक्ष के लोगों ने आग लगा दी थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था।

राख ने कहा, “हमारे पास इस तरह के मामलों के लिए विशेष इलाज उपलब्ध नहीं था और पुणे का एकमात्र निजी अस्पताल इसके लिए 30,000 रुपये प्रतिदिन की फीस लेता है। इस तरह के मामलों में इलाज असीमित समय के लिए चलता है।” जब महिला के परिजनों को इलाज से संबंधित खर्च के बारे में बताया गया, तो उसके परिजनों ने कहा कि अगर उनके पास इतना पैसा होता तो वे महिला के ससुराल वालों की दहेज की मांग पूरी कर देते और वह इस स्थिति से बच जाती।

महिला की दुर्दशा ने राख को विचलित कर दिया और उन्होंने इस तरह के मामलों में कुछ करने की ठानी। अपने सहयोगियों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद राख ने अपने ही अस्पताल में एक बर्न सेंटर स्थापित करने का फैसला किया साथ ही यह भी तय किया कि इस इकाई में देशभर की महिलाओं का मुफ्त में इलाज किया जाएगा।

राख ने कहा कि 40 फीसदी जली मरीज के पूरे इलाज पर कम से कम 15 से 25 लाख रुपये खर्च होते हैं, जो कि मेडिकेयर बर्न्‍स सेंटर में मुफ्त किए जाएंगे। दिहाड़ी मजदूर आदिनाथ (68) और घरेलू काम करने वाली सिंदू (61) के बेटे राख ने 2001 में अपनी चिकित्सा की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद निजी प्रैक्टिस करने बाद मेडिकेयर अस्पताल की स्थापना की।

योग एवं आयुर्वेद

ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी  

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नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-

  1. रनिंग

रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।

  1. वेट लिफ्टिंग

वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।

  1. योगा

बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।

  1. धूप का सेवन

धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।

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डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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