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पीएम पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके मोदी : ममता
कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को उन्हें देश में नोटबंदी के बाद अराजकता की स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह प्रधानमंत्री पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। ममता ने कहा कि मोदी को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी कि उन्होंने बगैर कोई योजना बनाए देश को गुमराह किया। उन्हें स्थिति के बारे में निश्चित रूप से देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए। वह देश के प्रधानमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं।
तृणमूल प्रमुख ने कहा, उन लोगों ने न तो सही निर्णय लिया और न ही विशेषज्ञ की राय ली। संसदीय दलों को विश्वास में नहीं लिया गया। सबकुछ गोपनीय ढंग से किया गया जैसे कि वह कोई अली बाबा हों। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वह एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं।
उन्होंने कहा, वे लोग अपना बयान बार-बार बदलते रहे हैं। सबसे पहले कहा- कालाधन निकलवा रहे हैं और अब कहते हैं कैशलेस यानी नकदीरहित अर्थव्यवस्था बनानी है और डिजिटल लेनदेन की बात कह रहे हैं।
ममता ने आगे कहा कि नोटबंदी ने पूरी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। जूट उद्योग से लेकर चाय बागान तक और ईकॉमर्स सेक्टर तक इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि तीसरी चौमाही में आर्थिक विकास दो प्रतिशत गिरा है और देश का तीन लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा, किसी एक व्यक्ति के अचानक लिए गए फैसले से देश क्यों तकलीफ झेले? कोई टीम वर्क नहंीं है, यह एक आदमी का शो है। एक तानाशाह का तमाशा जारी है और हम लोग बहुत चिंतित हैं।
उन्होंने कहा कि देश के 92 प्रतिशत गांवों में कोई बैंक नहीं है, सैकड़ों गांवों में बिजली नहीं है, जबकि केंद्र डिजिटलाइजेशन की बात कर रहा है। देश में कोई विकास का काम नहीं हो रहा है। कहा जा रहा है कि बैंकों में 12.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा हो गया। तब कालाधन कहां चला गया?
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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